निवास स्थान/निवास प्रमाण पत्र साधारणत: यह साबित करने के लिए जारी किया जाता है कि प्रमाण पत्र धारण करने वाला व्यक्ति उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का निवासी है जिसके द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है। इस प्रमाण पत्र की आवश्यकता निवास के प्रमाणपत्र के रूप में होती है, जिससे कि शैक्षिक संस्थानों और सरकारी सेवाओं में निवास स्थान/निवास का कोटा लिए जा सकते हैं और नौकरी के मामले में भी जहां स्थानीय निवासियों को वारीयता दी जाती है।
निवास स्थान प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए क्या करें
निर्धारित आवेदन पत्र या तो ऑनलाइन उपलब्घ होते हैं या स्थानीय प्राधिकारियों से अर्थात सब डिविजनल मजिस्ट्रेट/तहसीलदार का कार्यालय/राजस्व विभाग/जिला कलेक्टर का कार्यालय या अन्य प्राधिकारी जैसा कि आपके निवास के राज्य/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा विनिर्दिष्ट है। आपको निर्धारित न्यूनतम अवधि के लिए लगातार राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में निवास करने का प्रमाण देने की आवश्यकता होगी या राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में भूमि रखने का यह संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के नियमों पर निर्भर करता है। अपनी पहचान प्रमाणित करने के लिए दस्तावेज, आवश्यकता प्राधिकारी के अधिकारी द्वारा फॉर्म को अनुप्रमाणीकरण, स्कूल प्रमाण पत्र और तहसील की पूछताछ रिपोर्ट की भी आवश्यकता हो सकती है। महिलाएं, जो राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में मूलरूप से रहती हैं परन्तु ऐसे पुरूषों से विवाह करती हैं जो स्थायी रूप से राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में निवास करते हैं, जो राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के निवास स्थान प्रमाण पत्र के पात्र है, वे निवास स्थान प्रमाण पत्र के लिए पात्र है।
टिप्पणी:
निवास स्थान प्रमाण पत्र केवल एक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में बनाए जा सकते हैं। एक से अधिक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र से निवास स्थान प्रमाण पत्र प्राप्त करना एक अपराध हैं।
उत्तर प्रदेश में जनहित गारंटी अधिनियम के तहत राजस्व विभाग में निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए 20 कार्य दिवस निर्धारित किया गया है।