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लोक शिकायत निदेशालय में शिकायत करेें

लोक शिकायत निदेशालय में शिकायत करेें

दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल सचिवालय के तहत लोक शिकायत निदेशालय (डीपीजी) बनाया गया है। इसका प्रमुख केंद्र सरकार का सचिव स्तर का अधिकारी होता है। यह लोक शिकायत निदेशालय केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय का एक हिस्सा है। 

डीपीजी से आफलाइन शिकायत कैसे करें- 

यदि क्षेत्रीय पासपोर्ट आफिस के खिलाफ शिकायत पर विभाग या मंत्रालय ने कोई कार्रवाई नहीं की है। या आप विभाग की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप अपनी शिकायत के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज नत्थी करके डीपीजी को भेज सकते हैं। कृपया संबंधित सहायक दस्‍तावेजों की प्रतियों के साथ अपनी शिकायत का विवरण दें। शिकायत सुलझाने के लिए विभाग के शिकायत समाधान तंत्र के जरिए किए गए पूर्व-प्रयासों के बारे में बताएं। यह भी बताएं कि क्‍या आपने संगठन या विभाग के किसी पूर्व-निर्णय के खिलाफ किसी न्‍यायालय, अधिकरण या उपभोक्‍ता फोरम में कोई अपील दायर की है। अपनी पहचान के साथ-साथ, पत्र-व्‍यवहार का पता, ई-मेल का पता तथा टेलीफोन नम्‍बर भी बताएं। अपने पत्र पर अपने हस्‍ताक्षर करना अथवा अपने अंगूठे का निशान लगाना ना भूलें। 

डीपीजी से आऩलाइऩ शिकायत कैसे करें- 

  • आप अपनी शिकायत विभाग की वेबसाइट www.dpg.gov.in पर जाकर ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं।

  • इतना ही नहीं यहां पर आप अपनी शिकायत के बारे में रिमाइंडर, स्पष्टीकरण या कार्रवाई की स्थिति की भी जानकारी ले सकते हैं। 

शिकायत पर डीजीपी की कार्रवाई- 

  • डीपीजी जब शिकायतकर्ता की प्रामाणिकता के बारे में पूरी तरह संतुष्ट हो जाता  तब जाकर वह तय मापदंडों के अनुसार मामले पर कार्रवाई करता है।
  • यदि डीपीजी को लगता है कि मामले की शिकायत को सही तरीके से निपटाया नहीं गया है, तो वह उसे उपयुक्त सिफारिश के साथ संबंधित मंत्रालय/विभाग के मंत्री/अफसर के पास कार्रवाई के लिए भेज देता है।
  • यदि मामले की जांच के दौरान डीपीजी को गलत काम करने या ड्यूटी नहीं निभाने का सबूत मिलता है तो वह संबंधित अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस जांच या विभागीय कार्रवाई का आदेश दे देता है।
  • डीपीजी किसी भी संबंधित मंत्रालय/विभाग और इनके सहायक दफ्तरों से जुड़ी फाइलें/दस्तावेज मंगवा सकता है।
  • यदि सार्वजनिक शिकायतों के निपटारे में कोई अधिकारी विलंब करता है या टालमटोल करता है, तो डीपीजी उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकता है। 

डीजीपी की कार्रवाई की समय सीमा और फीस- 

  • मामले की शिकायत मिलने के 3 महीने के अंदर डीपीजी उस पर अब तक हुई कार्रवाई के बारे में सूचित करता है।
  • आपको बता दें कि डीपीजी शिकायत के निपटारे के लिए कोई फीस नहीं लेता है। 

लोक शिकायत निदेशालय के प्रमुख- 

डा. इंद्रजीत सिंह

सचिव

दूरभाष सं0  011-23345545

           011-23017075

फैक्स नंबर  011-23345637

ई-मेल पता -secypg[at]nic[dot]in

लोक शिकायत अधिकारी- 

आलोक कुमार

अवर सचिव

011-23747632

aalok[dot]kumar[at]nic[dot]in 

लोक शिकायत निदेशालय (डीपीजी) का पता- 

सचिव, लोक शिकायत निदेशालय 

सेकंड फ्लोर, सरदार पटेल भवन 

संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001 

फोन : 011-2334-5545

फैक्स : 011-2334-5637 

ई-मेल: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it. 

नोट: यदि आप चाहें तो सरदार पटेल भवन के ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए ड्रॉप बॉक्स में भी अपनी शिकायत लिखकर डाल सकते हैं।

 

 

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार