कर्फ्यू (धारा 144)-
किसी भी इलाके में सीआरपीसी की धारा-144 के तहत शांति व्यवस्था कायम करने के लिए कर्फ्यू लगाया जाता है। इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी एक नोटिफिकेशन जारी करता है। और जिस जगह भी यह धारा लगाई जाती है, वहां चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं।
इस दौरान सारे कानूनी अधिकार इलाके के मजिस्ट्रेट को दे दिये जाते हैं, जिस पर शांति व्यवस्था को फिर से स्थापित करने की जिम्मेदारी होती है।
कर्फ्यू के दौरान सजा का प्रावधान-
धारा-144 का उल्लंघन करने वाले या इस धारा का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी धारा-107 या फिर धारा-151 के तहत की जा सकती है। इसके आरोपी को एक साल कैद की सजा भी हो सकती है। वैसे यह एक जमानती अपराध है, इसमें जमानत हो जाती है।
यदि भीड़ अधिकारी का आदेश नहीं मानती है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 145 के अनुसार मुकदमा चलाकर 2 वर्ष का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों की सजा दी जा सकती है। यदि भीड़ गैर-कानूनी है तो आईपीसी की धारा 149 के अनुसार भीड़ को सजा दी जायेगी। भीड़ को आदेश देने वाले अधिकारी को अपराधी नहीं माना जायेगा । उस पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य या केंद्र सरकार की मंजूरी प्राप्त करनी पड़ेगी।
कर्फ्यू के दौरान प्रतिबंध-
(1) सिर्फ परीक्षार्थियों, विवाह समारोह, शव यात्रा व धार्मिक उत्सव पर निषेधाज्ञा लागू नहीं, (2) कोई भी व्यक्ति बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति के अनशन, धरना या प्रदर्शन नहीं करेगा, (3) कोई भी व्यक्ति लाठी, डंडा, बल्लम, स्टिक या किसी प्रकार का घातक अस्त्र, आग्नेयास्त्र लेकर नहीं चलेगा, (4) लाइसेंसी शस्त्र लेकर कार्यालय प्रवेश पर भी मनाही, (5) बिना अनुमति जुलूस निकालने या चक्काजाम करने पर रोक, (6) बिना अनुमति तेज आवाज के पटाखे बजाने, बेचने पर प्रतिबंध, (7) किसी समुदाय-सम्प्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले उत्तेजनात्मक भाषण या विज्ञापन पर भी रोक, (8) बिना अनुमति लाउडस्पीकर, डीजे आदि का प्रयोग वर्जित, (9) परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों के उपयोग व इसकी सहायता करने पर रोक, (10) परीक्षा केंद्र से दो सौ गज की दूरी पर पांच या इससे अधिक लोग इकट्ठे नहीं होंगे (11) शादी- बारातों में शौकिया शस्त्र प्रदर्शन पर रोक ।