आप जब देश के किसी भी न्यायालय में जाते हैं तो वकीलों को काला कोट और सफेद शर्ट ही पहने हुए ही क्यों देखते हैं। क्या आप जानते हैं कि वकील काले कोट क्यों पहनते हैं और सफेद बैंड क्यों लगाते हैं। आइए जानते हैं।-
अधिवक्ता (वकील) काला कोट क्यों पहनते हैं
- इंग्लैंड की प्रिवी काउंसिल ने 1637 में अपने फैसले में कहा कि वकीलों को समाज के अनुसार कपड़े पहनने चाहिए। उसी समय से वकीलों ने पूरी लंबाई के काले रंग के गाउन पहनने की शुरुआत की।
- भारतीय न्यायिक व्यवस्था अंग्रेजो द्वारा दी गयी न्यायिक व्यवस्था से ही चलती है। इसलिए भारतीय न्यायालयों में वर्ष 1961 में एडवोकेट एक्ट नियम के तहत वकीलों के लिए काला कोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया।
- भारत में वकील सफेद कपड़ों पर काले कोट और सफेद शर्ट पर सफेद रंग का बैंड लगाते हैं, जिसमें दो पट्टियां सामने की ओर होती है।
- काले रंग का कोट वकीलों के बीच अनुशाशन और आत्मविश्वास के होने का प्रतीक माना जाता है और न्याय के प्रति उनमें विश्वास जगाता है। जबकि सफेद रंग के बैंड को पवित्रता और भोलेपन का प्रतीक कहा जाता है।
- काले रंग का संबंध आज्ञापालन, पेशी और अधीनता से होता है। इसलिए वकीलों को न्याय के अधीन माना गया है। इस ड्रेस कोड ने दूसरे व्यवसायों की तुलना में वकीलों को अलग पहचान दी है।
- काला रंग दृष्टिहीनता का भी प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि दृष्टिहीन व्यक्ति किसी से भी कोई पक्षपात नहीं करता। इसलिए भी वकील काला कोट पहनते हैं।
- हालांकि अब हमारे देश में यह मांग उठने लगी है कि अंग्रेजों दी गयी इस ड्रेस कोड की व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए और भारतीय समाज के अनुसार वकीलों के ड्रेस को निर्धारित किया जाना चाहिए।