सुकमा (छत्तीसगढ़)। आपने हिंदी फिल्मों में ऐसा सीन अवश्य देखा होगा, जिसमें एक भाई पुलिस अधिकारी बन जाता है और दूसरा भाई डकैती का रास्ता अपना लेता है, और कुछ समय बाद जब दोनों आमने-सामने पड़ते हैं तो हैरान-परेशान एक दूसरे को देखते रह जाते हैं। पुलिस अधिकारी डकैत बने भाई को डकैती के रास्ते को छोड़ देने की सलाह देता है, और इसी दौरान उसके साथी पुलिस टीम पर हमला कर देते हैं और वह अपने साथियों के साथ फरार हो जाता है। कुछ ऐसा ही सीन सुकमा जिले के जंगल में देखने को मिला जहां नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन कर रहे सेक्शन कमांडर वेट्टी राम और उसकी बहन सीपीआई माओवादी की शीर्ष सदस्य वेट्टी कन्नी से आमना सामना हो गया। दोनों हैरान-परेशान एक दूसरे को देख ही रहे थे, तभी नक्सलियों ने फायरिंग शुरु कर दी। इस गोलीबारी में दो नक्सली मारे गए। हालांकि वेट्टी कन्नी मौके से फरार होने में कामयाब हो गयी।
यह कहानी आपको फिल्मी अवश्य लग रही होगी, लेकिन यह पूरी तरह सच है। राम वेट्टी और कन्नी वेट्टी दोनों 1990 के शुरु में राष्ट्रीय राजमार्ग-30 के गगनपल्ली गांव के अन्य युवाओं के साथ माओवादी आंदोलन से जुड़े थे। राम वेट्टी का कहना है कि, 'हम दोनों बाल संघम के तौर पर शामिल हुए थे। हमसे कहा गया था कि यह आंदोलन क्षेत्र के गरीबों के लिए है। लेकिन अब चीजें बदल चुकी हैं। वर्तमान माओवादी आंदोलन में समर्पण का अभाव है और इसलिए मैंने 2018 में आत्मसमर्पण करने का फैसला किया। इसके बाद मुझे पुलिस में नौकरी मिली और अगले कुछ महीनो में मुझे पुलिस कांस्टेबल बना दिया जाएगा।' राम वेट्टी का कहना है कि उसने आत्मसमर्पण करने के बाद सुरक्षाकर्मियों के साथ 10 बड़े ऑपरेशनों को अंजाम दिया है। हालांकि राम वेट्टी के सिर पर आत्मसमर्पण करने से पहले 6.5 लाख का ईनाम था। इसके बाद राम वेट्टी ने अपनी बहन कन्नी वेट्टी को भी खुद को पुलिस के हवाले करने के लिए समझाया था। इतना ही नहीं उसने इसके लिए अपनी बहन को कई पत्र लिखे थे। लेकिन कन्नी ने उसकी बात को मानने की बजाय पत्र के जवाब में उसे गद्दार बताया था। कन्नी के इस जवाब से आहत राम वेट्टी ने भरी आंखों से कहा, 'मैं हमेशा उसे गिरफ्तार करने या आत्मसमर्पण कराने की कोशिश करता हूं, लेकिन मुठभेड़ में कुछ भी संभव है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि ऐसा कभी न हो।'
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के जंगलों में स्थित माओवादी कैंप की 29 जुलाई को शाम के करीब सात बजे 140 सुरक्षाकर्मी घेराबंदी कर रहे थे। इसकी अगुवाई सुकमा पुलिस और ऑपरेशन के सेक्शन कमांडर वेट्टी राम कर रहे थे, जो कि एक गोपनीय सैनिक हैं। उनका मुख्य शिकार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के कोंटा क्षेत्र समिति के शीर्ष माओवादी सदस्यों में से एक वेट्टी कन्नी और उनकी 30 सदस्यीय टीम थी। जब दोनों आमने-सामने आए तो राम और कन्नी एक-दूसरे को देखने लगे। उनकी नजरें मिलीं और अचानक कन्नी के सुरक्षाकर्मियों ने राम पर गोलियां चलानी शुरू कर दी। इस भयंकर गोलीबारी में दो नक्सली मार गिराए गए था। हालांकि कन्नी किसी तरह भागने में कामयाब रही। राम ने कहा, 'मैं उस पर गोली नहीं चलाना चाहता था। मुझे ऐसा करना पड़ा क्योंकि कुछ सेंकेड में ही उसके गार्ड ने मेरी टीम पर गोलियां चलानी शुरू कर दी। जिसका मैंने जवाब दिया। कुछ मिनट बाद मैंने उसे गोलीबारी करते हुए और फिर अचानक से जंगल में गायब होते हुए देखा।' कन्नी कोंटा क्षेत्र के सीपीआई माओवाद (सीपीआईएम) की क्षेत्र समिति सदस्य है। उसके सिर पर पांच लाख रुपये का ईनाम है। वह माओवादियों के पोदारियों की इंजार्च है। जिसका मतलब है कि वह गिरफ्तार माओवादियों को कानूनी सहायता मुहैया कराती है और पुलिस मुठभेड़ों में मरने वाले सीपीआईएम के कैडर के परिवारों के पुनर्वास की भी समीक्षा करती है।