जयपुर (राजस्थान)। देश में आए दिन सामने आ रहे मॉब लिंचिग के मामले पर अशोक गहलोत सरकार ने सख्त कदम उठाया है। सरकार ने मॉब लिंचिंग (भीड़ हत्या) पर एक कठोर कानून बनाया है। राजस्थान में अब मॉब लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मौत पर दोषियों को आजीवन कारावास और 5 लाख रुपये तक का जुर्माने की सजा भुगतनी पड़ेगी।
अशोक गहलोत सरकार ने सोमवार को विधानसभा में "राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक-2019" में पेश किया जो पारित हो गया। भाजपा ने इस विधेयक का विरोध किया। विधेयक में मॉब लिंचिंग को गैर जमानती,संज्ञेय अपराध बनाया गया है। अब मॉब लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मौत पर दोषियों को आजीवन कारावास और 5 लाख रुपये तक का जुर्माने की सजा भुगतनी पड़ेगी। वहीं, मॉब लिंचिंग में पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की सजा और 50 हजार से तीन लाख रुपये तक का जुर्माना दोषियों को भुगतना पड़ेगा। मॉब लिंचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी, जो लिंचिंग करने वाले को मिलेगी। जबकि मारपीट करने पर 7 साल के कठोर कारावास व एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। लिंचिंग की घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप में प्रकाशित या प्रसारित करने पर भी एक से तीन साल तक की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना देय होगा। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि दो व्यक्ति भी अगर किसी को मिलकर पीटते हैं तो उसे मॉब लिंचिंग माना जाएगा । विधेयक में धर्म, जाति, भाषा, राजनीतिक विचारधारा, समुदाय और जन्म स्थान के नाम पर भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को मॉब लिंचिंग माना है।
मॉब लिंचिंग के जुड़े मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी करेगा। इस तरह के मामलों की पुलिस महानरीक्षिक रैंक व जिलों में उप अधीक्षक रैंक का अधिकारी मॉनिटरिंग करेगा। इस तरह के मामलों की तुरंत सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर विशेष न्यायाधीश नियुक्त कर सकेंगे। सेशन स्तर के न्यायाधीश ही ऐसे मामलों की सुनवाई कर सकेंगे। विधेयक में प्रावधान किया है कि पीड़ित को राजस्थान विक्टिम कंपसेशन स्कीम के तहत सहायता दी जाएगी और दोषियों से जो जुर्माना वसूला जाएगा उसे पीड़ित को दिया जाएगा।