ग्वालियर (मध्य प्रदेश)। केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देकर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है। वहीं जीवाजी विश्वविद्याल के अधिकारी और कर्मचारी अपनी भ्रष्ट आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। उनकी इसी आदत से परेशान होकर जीवाजी विश्वविद्यालय की तीसरी मंजिल के छज्जे से कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की। छात्र चिल्लाकर कह रहा था कि विश्वविद्यालय ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया है। स्नातकोत्तर में उसे प्रवेश लेना है, लेकिन दो महीने से मार्कशीट (अंकपत्र) नहीं जा रही है। कोई अधिकारी उसकी नहीं सुन रहा है।
छात्र राहुल पाठक ग्वालियर में भितरवार क्षेत्र का रहने वाला है। उसने डबरा के वृंदासहाय कॉलेज से बीएससी किया है। पांचवें समेस्टर में उसकी एटीकेटी आई थी, जिसे उसने वर्ष 2018 में क्लियर कर लिया था। इसके बाद उसने मार्कशीट लेने के लिए दो महीने पहले टोकन भरकर जमा किया था। जिससे वह स्नातकोत्तर में प्रवेश ले सके। लेकिन विश्वविद्यालय कर्मचारी उसे 7 दिन बाद आने की बात कहकर टाल रहे थे। जब वह मंगलवार को वह फिर से मार्कशीट लेने आया। और प्रशासनिक भवन का चक्कर लगाता रहा, लेकिन कोई भी कर्मचारी या अधिकारी उसकी बात को सुनने को तैयार हुआ। इससे परेशान होकर वह प्रशासनिक भवन की तीसरी मंजिल के छज्जे पर कूद गया और चिल्लाने लगा कि जीवाजी विश्वविद्याल ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया। मार्कशीट के लिए मैं पेरशान हो चुका हूं, लेकिन यहां पर कोई सुनने वाला नहीं है। दो महीने से अधिकारी चक्कर लगवा रहे हैं। इस घटना की जानकारी मिलने के बाद अधिकारी व कर्मचारियों के हाथ पैर फूल गए। हालांकि मौके पर मौजूद दूसरे छात्रों ने छज्जे पर जाकर उसको पकड़ लिया। और उसे ऊपर खींचा लिया, जिससे उसकी जान बच गयी । गौलतलब है कि छात्र 11 जुलाई से मार्कशीट के लिए चक्कर लगा रहा था।
वहीं जीवाजी विश्वविद्याल के कुल सचिव डॉ आई के मंसूरी का कहना था कि छात्र की मार्कशीट शाम तक जारी कर दी जाएगी। लेकिन इसके बावजूद शाम तक छात्र को मार्कशीट नहीं दी गयी। और शाम तक उससे कहा गया कि अब बुधवार को उसे मार्कशीट मिलेगी।