रुकड़ी (उत्तराखंड) । फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र के जरिए सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत एक व्यक्ति के कारनामे का उसकी पत्नी ने ही भंडाफोड़ दिया। पति से अलग रह रही महिला ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से शिकायत की थी कि उसका पति फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र के जरिए शिक्षक पद पर कार्यरत है, इसलिए उसे नौकरी से निकाल दिए जाए। शिकायत मिलने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) ब्रह्मपाल सिंह सैनी ने सहायक शिक्षक विश्वेश्वर प्रताप सिंह के प्रमाणपत्र को जांच के लिए एसआईटी के पास भेज दिया है।
आपको बता दें कि शिकायतकर्ता अनीता कुमारी निवासी अशोक विहार, संजय नगर बरेली ने बेसिक जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत कर बताया कि उनके पति विश्वेश्वर प्रताप सिंह वर्ष 2007 से जीयूपीएस संढौली नारसन में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल की है। जिसकी उन्होंने कई बार पत्र के माध्यम से अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे परेशान होकर उन्होंने सूचना का अधिकार में मूल निवास राजस्व अभिलेखों में दर्ज होने के विषय में उत्तर मांगा, लेकिन प्रथम जांच में मूल निवास प्रमाणपत्र अभिलेखों में दर्ज नहीं पाया गया। वहीं द्वितीय जांच में अपर जिला अधिकारी ने भी कलक्ट्रेट कार्यालय हरिद्वार के अभिलेखों के अनुसार दर्ज नहीं पाया।
इसके बाद अनिता कुमारी ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से मिलकर पति के प्रमाणपत्रों की जांच कराते हुए उन्हें बर्खास्त करने, दंड के रूप में वेतन वसूलने और शिक्षा विभाग को गुमराह करने के लिए मुकदमा दर्ज करने की मांग की। जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) ब्रह्मपाल सिंह सैनी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। फर्जी शिक्षकों की जांच एसआईटी कर रही है। विश्वेश्वर प्रताप सिंह के प्रमाणपत्र भी एसआईटी को भेज दिए गए हैं। और आगे की कार्यवाही की जा रही है।