लखनऊ (उत्तर प्रदेश) । चकबंदी मुख्यालय में लिपिक पदोन्नति धांधली मामले में एक पीसीएस समेत तीन अधिकारियों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में केस दर्ज हो गया है। और इन्हें निलंबित भी कर दिया गया है। इन अधिकारियों पर 70 चपरासियों को टंकण परीक्षा में धांधली करके लिपिक बनाने का आरोप है। क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय द्वारा तकनीकी विशेषज्ञ न होने की जानकारी देने के बावजूद, इन्होंने जानबूझकर परीक्षा लेने के लिए क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय के अनुदेशक आशुलिपि को टंकण विशेषज्ञ नियुक्त करवाया था। और टंकण परीक्षा में धांधली करवाकर कर्मचारियों को पास करवाया था।
आपको बता दें कि चकबंदी विभाग में चपरासी के पद पर कार्यरत कर्मचारियों को प्रोन्नति के माध्यम से लिपिक बनाने के लिए 26 व 27 दिसंबर 2018 को टंकण परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में हुई धांधली की लिखित शिकायत गोरखपुर के रहने वाले योगेन्द्र सिंह ने शासन से की थी। इसके बाद शासन ने मामले की जांच कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार को सौंपी। जांच में टंकण परीक्षा में गड़बड़ी की आशंका जताई गयी । जिसके बाद दोबारा राजकीय औद्योगिक परीक्षण संस्थान अलीगंज में 11 व 15 अप्रैल 2019 को टंकण परीक्षा करवायी गयी थी, जिसमें सभी 70 कर्मचारी असफल साबित हुए । इसके बाद उच्च स्तरीय जांच में दोषी पाये गए चयन समिति के अध्यक्ष व अपर संचालक चकबंदी सुरेश यादव, पीसीएस अधिकारी व तत्कालीन उप संचालक चकबंदी मुख्यालय छोटे लाल मिश्रा, संयुक्त संचालक चकबंदी रवींद्र कुमार दुबे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया। और वहीं रवींद्र कुमार दुबे को निलंबित कर दिया गया है, जबकि सुरेश यादव पहले ही निलंबित किये जा चुके हैं। इन दोनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर आरोप पत्र जारी कर दिया गया है। वहीं छोटे लाल मिश्रा को निलंबित करने और विभागीय कार्यवाही शुरू कर आरोप पत्र दिये जाने के लिए अपर मुख्य सचिव नियुक्ति विभाग को आरोप पत्र सहित पत्र भेजा गया है। जबकि चकबंदी आयुक्त शारदा सिंह पहले ही निलंबित हो चुकी हैं। गौरतलब है कि कृषि उत्पादन आयुक्त ने जांच में दोषी पाये गए अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की सिफारिश की थी।