राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) । सरकार के तमाम दावों के बावजूद प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी मनरेगा के तहत जारी किए जाने वाले धन को लूटने से बाज नहीं आ रहे हैं। ताजा मामला मनरेगा में स्टापडेम व डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण समेत अन्य कार्यों में भ्रष्टाचार का है। जिसमें चालीस लाख रुपए की हेराफेरी का खुलासा होने पर डोंगरगढ़ उपसंभाग के एसडीओ, तीन एसई, संभागीय लेखाधिकारी, वरिष्ठ लेखा लिपिक और सहायक ग्रेड तीन के कर्मचारी समेत सात को निलंबित कर दिया गया है।
आपको बता दें कि वर्ष 2016-17 और 2017-18 में भू-जल संवर्धन के लिए जिला पंचायत राजनांदगांव ने मनरेगा के तहत 5.48 करोड़ की स्वीकृति दी थी। इसमें डोंगरगढ़ ब्लॉक के छह ग्राम पंचायतों छीपा, पलांदुर, डोड़की, सलटिकरी, ठाकुरटोला व कोलिहापुरी में 13 स्टापडेम निर्माण होना था। इस मामले का खुलासा हुआ तब पता चला कि निर्माण के लिए अफसरों और कर्मचारियों ने निविदा में तय रेट को बढ़ाकर बारह निजी सप्लायरों को फायदा पहुंचाकर चालीस लाख की हेराफेरी की । इन हेराफेरी करने वालों में डोंगरगढ़ उपसंभाग के एसडीओ एम. घोरमारे, एसई निखिलेश गैरारे, गरिमा चौहान, अनुपम चंद्राकर, संभागीय लेखाधिकारी विजय कुमार कौशल, वरिष्ठ लेखा लिपिक राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव व सहायक ग्रेड तीन दीपक लाल हरिहारणो शामिल हैं, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है।