नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में हैरान कर देने वाले भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। यहां पर मुर्दे, गुमशुदा और दिल्ली से पलायन कर चुके लोग हर महीने राशन खा रहे हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाक के नीचे हुए इस बड़े भ्रष्टाचार के खुलासे से दिल्ली सरकार में हड़कंप मचा हुआ है। इसका खुलासा किसी विपक्षी दल के नेता नहीं बल्कि आप पार्टी के ही मुंडका से विधायक सुखबीर सिंह दलाल ने किया है।
आप पार्टी के विधायक सुखबीर सिंह दलाल ने विशेष उल्लेख नियम 280 के तहत विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को शिकायत दी है। इसमें उन्होंने लिखा है कि 2011 से राशन कार्डों की वस्तुस्थिति जांच का कोई सर्वे नहीं हुआ है। जबकि हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है। हजारों लड़किया शादी करके हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में चली जाती हैं। हजारों लोग ऐसे भी हैं, जो रोजगार की तलाश में दिल्ली में आए थे। 2011 में राष्ट्रीय खाद्य योजना के तहत इनके भी राशन कार्ड बने थे, जबकि कुछ साल बाद ही ये लोग दिल्ली छोड़ वापस या किसी और शहर चले गए। सुखबीर सिंह ने कहा कि पिछले आठ वर्षों के दौरान हजारों लोग ईडब्ल्यूएस और बीपीएल की श्रेणी से भी बाहर हो गए हैं, लेकिन उनके राशन कार्ड भी निरस्त नहीं किए गए हैं। और काफी लोग ऐसे हैं जो बहादुरगढ़ में रहते हुए राशन दिल्ली से ले रहे हैं।
सुखबीर सिंह के अनुसार दिल्ली में इस समय तकरीबन 19 लाख राशन कार्ड हैं। प्रति कार्ड चार से 10 सदस्यों के हिसाब से लगभग 72 लाख लोग राशन ले रहे हैं। लेकिन अभी तक इनका सर्वे नहीं हुआ है, जिसकी वजह से यह गड़बड़ी जारी है। सुखबीर सिंह ने अपनी शिकायत में विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि 2011 से 2018 के बीच जितने भी प्रकार के राशन कार्ड बने हैं, उनका पूरी तरह से सर्वे कराया जाए। सुखबीर सिंह का आरोप है कि यदि सर्वे कराया गया तो कम से कम चार से पांच लाख नाम कट जाएंगे। इस कार्रवाई से करीब आठ साल से जारी भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी और राशन का दुरुपयोग बंद होगा। और जरूरतमंद लोगों का नाम राशन कार्ड में जोड़ा जा सकेगा। हालांकि सुखबीर सिंह की शिकायत मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने शिकायत खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को भेज दिया है । आपको बता दें कि नियम के अनुसार दिल्ली में राशन कार्ड केवल पांच साल के लिए बनता है। और उसका हर पांच साल के बाद नवीनीकरण होता है। अब देखना यह है कि अरविंद केजरीवाल की सरकार इस घोटाले की निष्पक्षता से जांच करवाते हैं या फिर मामले को ठंडे बस्ते डाल देते हैं।