रोहतक (हरियाणा)। प्रदेश सरकार ने टीबी मरीजों के हित में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि यदि कोई निजी डॉक्टर या केमिस्ट टीबी से ग्रसित किसी मरीज को दवाई देता है और इलाज करता है, लेकिन इसकी सूचना जिला के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी या जिला टीबी अधिकारी को नहीं देता है तो इसके लिए उसे अपराधी माना जाएगा। भारतीय दंड संहिता की धारा 269 और 270 के तहत उस पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। धारा 269 के तहत छह माह तक सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान किया गया है। वहीं प्राथमिक स्तर पर अगर कोई डॉक्टर या केमिस्ट टीबी की बीमारी से ग्रसित मरीज के बारे में सूचना देता है तो उसे 500 रुपये मिलेंगे। इतना ही नहीं मरीज को भी न्यूट्रिशनल सपोर्ट के लिए हर महीने 500 रुपये दिए जाएंगे। हालांकि इस राशि को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपना बैंक खाता संख्या और आधार कार्ड उपलब्ध कराना होगा। यह राशि लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर की जायेगी।
आपको बता दें कि सरकार की ओर से टीबी के मरीजों को चिह्नित करने और उनका इलाज करा कर संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह इंतजाम किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी या विश्व क्षयरोग दिवस मनाया जाता है। पूरे विश्व में वर्ष 2030 और भारत में वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार टीबी के संक्रमण को रोकने और उसे खत्म करने का प्रयास में लगी हुई है।
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