आगरा (उत्तर प्रदेश)। प्रदेश में सरकारी निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार होना आम बात है, लेकिन आगरा जल निगम के अधिकारियों ने धांधूपुरा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में अनोखे तरह का घोटाला करके कमाल ही कर दिया। इन जादूगर अधिकारियों ने ताजमहल के पूर्वी गेट की ओर बने 78 एमएलडी क्षमता के धांधूपुरा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की दीवार को कागजों में ही बना दिया। जब मामले का खुलासा हुआ तो अधिकारियों ने सफाई दी कि हवा के दवाब से दीवार गिर गयी और उसकी ईंटें गायब हो गयीं।
आपको बता दें कि आगरा में 78 एमएलडी के धांधूपुरा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर करीब 2.5 करोड़ रुपये की लागत से 3000 मीटर लंबी दीवार का निर्माण होना था, लेकिन असलियत में जल निगम के अधिकारियों ने कागज पर ही दीवार दिखाकर तार लगवा दिए गए। तीन वर्ष पहले 950 मीटर लंबी और 10 फुट ऊंची बनायी गयी दीवार में मौके पर अब एक भी ईंट का अता-पता नहीं है।
जब इस मामले का खुलासा हुआ तो जल निगम के अधिकारियों ने कमाल का तर्क दिया उनका कहना था कि धांधूपुरा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पूर्वी ओर दूसरे प्लांट की ओर जाने वाली सड़क के किनारे की ईंटों की 10 फुट ऊंची दीवार ढह गयी थी। इसके बाद उन्होंने 950 मीटर लंबे कटीले तार लगवा दिए। इतना ही नहीं इस दीवार को बनाने वाले ठेकेदार को आनन-फानन में पूरा भुगतान भी कर दिया गया।
लेकिन सवाल यह उठता है कि हवा के दबाव से दीवार गिरी तो ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, और यदि दीवार का निर्माण हुआ था तो नींव में और ऊपर लगी ईंटें कहां गायब हो गयीं। जब दीवार गिर गयी तो ठेकेदार से दोबारा निर्माण क्यों नहीं कराया गया। इसके अलावा दीवार की गुणवत्ता खराब होने पर ठेकेदार की सिक्योरिटी मनी जब्त क्यों नहीं की गई। साथ ही तेज हवा में दीवार गिरने की रिपोर्ट कहां हैं, मॉनीटरिंग करने वाले अधिकारी पर क्या कार्रवाई हुई है।
जब इस खुलासे की भनक जल निगम के अधिकारियों को लगी तो वह मामले को छिपाने में जुट गये। जल निगम के यमुना एक्शन प्लान प्रोजेक्ट मैनेजर लोकेश शर्मा इस मामले में जवाब देने की बजाय स्वयं ही सवाल दागने लगे। उनका कहना है कि यह मामला उठाने की जरूरत ही क्या है। जब उनसे पूछा गया कि दीवार घोटाले में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई तो वह मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए। उनका कहना था कि वह वाप्कोस की टीम के साथ थे, इसलिए कुछ बता नहीं सकते हैं। साथ ही वह बोले कि यह मेरे कार्यकाल का मामला नहीं है, इसलिए मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसके बारे में मत पूछिए। फाइलें अंदर रखी हैं। तलाश करके ही बता पाएंगे।
अब यमुना एक्शन प्लान प्रोजेक्ट मैनेजर की इस तरह की प्रतिक्रिया से यह तो साफ लग रहा है कि जल निगम के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी । इसलिए उन्हें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वह जनता की मेहनत की कमायी को ऐसे ही लूटने में लगे रहे, उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।