Main Menu

अनोखा रेलवे स्टेशन, जहां ग्रामीण बांटते हैं टिकट !

अनोखा रेलवे स्टेशन, जहां ग्रामीण बांटते हैं टिकट !

नागौर (राजस्थान)। नागौर जिले के जालसू नानक गांव के ग्रामीणों ने बिना रेलकर्मी वाले जालसू नानक रेलवे स्टेशन का कुशलतापूर्वक संचालन करके देश में एक अनोखा  उदाहरण पेश किया है। संभवत: यह देश का पहला रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन पर ग्रामीण ही टिकट काटते हैं और सभी लोग चंदा जुटाकर हर महीने करीब 1500 टिकट भी खरीदते हैं । जिससे कि हर दिन नियमित रुप से दस रेलगाड़ियां स्टेशन पर रुकती रहें।

आपको बता दें कि रेलवे विभाग ने 1976 में जालसू नानक रेलवे स्टेशन के स्वीकृत होने के बाद यहां पर एक लकड़ी की कुटिया बनाकर रेलगाड़ियों का ठहराव शुरू किया था। जालसू नानक गांव के पूर्व सरपंच गिरवर सिंह ने बताया कि सन् 2005 में जोधपुर रीजन में कम आमदनी वाले रेलवे स्टेशनों को रेलवे विभाग ने बंद कर दिया था। इस दौरान जालसू नानक रेलवे स्टेशन भी बंद हो गया। इसके बाद सेवानिवृत्त फौजियों और ग्रामीणों ने रेलवे स्टेशन खोलने के लिए धरना दिया तो रेलवे विभाग ने 11वें दिन स्टेशन तो शुरू कर दिया, लेकिन ग्रामीणों के सामने हर महीने 1500 टिकट और प्रतिदिन 50 टिकट बेचने की शर्त रख दी।

ग्रामीणों ने रेलवे विभाग की इस चुनौती को स्वीकार करते हुए स्टेशन का संचालन संभाल लिया और टिकट का वितरण शुरू कर दिया। विंडो संचालक रह चुके रतन सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने स्टेशन संचालन के लिए 1 लाख 50 हजार रुपए का चंदा कर रखा है। यह राशि गांव में ब्याज पर दी गई है। इससे हर माह 3 हजार रु. ब्याज मिलता है। वहीं, 1500 टिकट बिक्री के चलते बुकिंग संभालने वाले ग्रामीण को 15% कमीशन मिलता है। इस राशि से मानदेय भुगतान किया जाता है।

हालांकि 2001 तक इस स्टेशन पर कोई सुविधा नहीं थी। लेकिन तब की तत्कालीन सरपंच सुशीला कंवर ने पंचायत मद से स्टेशन पर एक हॉल और बरामदा बनवाया और  डीआरएम की मौजूदगी में रेलवे विभाग को सुपुर्द किया। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा करके पीने के पानी के लिए एक प्याऊ बनवाया। इसके अलावा गांव के सेवानिवृत्त फौजियों ने फूलों का बगीचा भी तैयार किया। जालसू नानक गांव के हर घर में फौजी हैं। वर्तमान में गांव के 160 से ज्यादा बेटे सेना, बीएसएफ, नेवी, एयरफोर्स और सीआरपीएफ में हैं। जबकि 200 से ज्यादा रिटायर्ड फौजी हैं।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार