जयपुर (राजस्थान)। सरकारी अधिकारी अक्सर अपने कारनामों से भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान स्थापित करते ही रहते हैं। ताजा मामला राजस्थान राज्य उपभोक्ता संघ में सामने आया है। जहां के महाप्रबंधक ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि संघ के दो वरिष्ठ प्रबंधक और सात कर्मचारी फर्जी डिग्री के जरिए बाइस वर्ष से बेखौफ होकर नौकरी कर रहे हैं। अब कानफैड ने सभी प्रबंधकों एवं कर्मचारियों से तीन दिन के अंदर शैक्षणिक मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
आपको बता दें कि राजस्थान राज्य उपभोक्ता संघ में शिकायत की गयी थी कि दो वरिष्ठ प्रबंधक और सात कर्मचारी फर्जी डिग्री के जरिए संस्थान में नौकरी कर रहे हैं। मामले के सामने आने के बाद उपभोक्ता संघ के महाप्रबंधन दिव्या खंडलेवाल ने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें अधिकारियों एवं कर्मचारियों की डिग्रियों को फर्जी बताया गया। दिव्या खंडलेवाल का कहना है कि इन अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति समचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी किए बिना ही कर दी गयी थी। जिसमें 29 लोग भर्ती हुए थे। इनमें से अधिकांश लोगों के पास पद के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता नहीं है,वहीं कुछ की मार्कशीट फर्जी है। जबकि सर्विस बुक से मूल दस्तावेज गायब हैं। इसकी रिपोर्ट विभाग के वरिष्ठ अफसरों को भी कार्रवाई के लिए भेजी गई है। लेकिन रविवार को पांच दिन गुजर जाने के बाद एक भी कॉनफैड कर्मी ने मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए हैं।
राजस्थान राज्य उपभोक्ता संघ में फर्जी तरीके से नौकरी पाने वालों में वरिष्ठ प्रबंधक योगेंद्र शर्मा और राजेंद्र सिंह शेखावत भी शामिल हैं, जिनके पास भी योग्यता प्रमाण पत्र नहीं थे। इसके बावजूद दोनों नौकरी करने से लेकर पदोन्नति तक लेते रहे हैं। लेकिन हैरान की बात यह है कि ये अधिकारी 16- सीसी चार्जशीट भुगत चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इनकी नियमित वेतन वृद्धियां बिना रुकावट के होती रही हैं। वहीं राज्य उपभोक्ता संघ में भर्ती हुए कर्मचारियों के पास तय नियम अनुसार सीए, आईसीडब्ल्यूए, एमबीए जैसी डिग्रियां आवश्यक थी। लेकिन दो वरिष्ठ प्रबंधकों एवं सात कर्मचारियों के पास ये डिग्रियां भी नहीं थी। उन्होंने फर्जी डिग्री जमा करके नौकरी हासिल की थी।
महाप्रबधंक का कहना है कि 1987 में हुई इस भर्ती को लेकर कानफैड के भर्ती मंडल से लेकर अधिकारी तक सवालों के घेरे में आ गए हैं। आखिर इतनी भारी गड़बड़ियां कैसे हुईं। इस खुलासे के बाद अब उस समय भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। अब देखने वाली यह बात होगी कि इनके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।