भारत सरकार ने सन् 2008 में लोगों को स्तरीय और सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जन औषधि योजना शुरू की थी। 2016 में इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना कर दिया गया। इसके तहत देशभर में 5,000 से ज्यादा जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। 'देश की सेहत' सुधारने के लिए शुरू हुई इस योजना के लिए इसका जोर-शोर से प्रचार और प्रसार भी किया गया। लेकिन यह योजना उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।