नई दिल्ली । सोमवार को लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी आधार संशोधन बिल 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस बिल के पारित होने से बैंक खाता खोलने, मोबाइल सिम लेने के लिए आधार कार्ड को स्वैच्छिक बनाया गया है। अब किसी भी निजी कंपनी को आधार का डेटा जबरदस्ती प्राप्त करने की अनुमति नहीं होगी। यदि कोई इस तरह की मांग करता है तो उसके लिए सजा तथा जुर्माना दोनों का प्रावधान है।
लोकसभा के बाद अब आधार संशोधन अधिनियम 2019 को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आधार संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर लोगों के डाटा सुरक्षा का आश्वासन दिया है। इस कानून बनने के बाद किसी की इच्छा के बिना उसका आधार डाटा स्टोर नहीं किया जा सकेगा और यदि कोई ऐसा करता पाया गया तो उसके ऊपर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान है। हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में आधार डाटा को देखा जा सकेगा अन्यथा आधार का डाटा देखते पर 3 साल की जेल हो सकती है। आधार का डाटा सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे की स्थिति में ही एक्सेस किया जा सकेगा।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आधार कार्ड में धारक की मूलभूत जानकारियों का ही जिक्र है। इसमें जाति, धर्म, सम्प्रदाय आदि ऐसी जानकारियों का जिक्र नहीं है जिनकी मदद से किसी की प्रोफाइलिंग की जा सके। आधार में प्रतिदिन 2.88 करोड़ जानकारियों का प्रमाणीकरण किया जाता है। इसलिये यह डाटा पूरी तरह से सुरक्षित है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस सहित अन्य सदस्यों द्वारा डाटा सुरक्षा कानून बनाने की मांग पर आश्वासन दिया कि सरकार जल्द ही ‘डाटा संरक्षण विधेयक’ पेश करेगी। इस पर पिछले दो वर्षो से व्यापक चर्चा चल रही है। यदि किसी के पास आधार नहीं है, फिर भी उसे राशन मिलना बंद नहीं होगा।
आधार संशोधन अधिनियम 2019 के अनुसार बैंक खातों और सिम कार्ड के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा। यदि कोई शख्स इन कार्यों के लिए अपने आधार की जानकारी नहीं दे रहा है तो उस पर दवाब नहीं बनाया जा सकेगा। दूसरे शब्दों में कहें तो सिम कार्ड लेने और बैंक खाता खुलवाने के लिए अब आपको आधार कार्ड देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पहचान के तौर पर आप वोटर कार्ड पेश कर सकते हैं। विधेयक के मुताबिक, आधार संख्या धारण करने वाले बच्चों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प भी मिलेगा।