भोपाल (मध्य प्रदेश)। चुनाव आयोग की अनुमति के बाद प्रदेश सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (सवर्ण) के आरक्षण के लिए अहम कदम उठाया है। सरकार ने कलेक्टरों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (सवर्ण) के युवाओं के आय प्रमाणपत्र बनाने के अधिकार दे दिए हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन आचार संहिता के चलते मामला चुनाव आयोग में लंबित था।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने इस बात की पुष्टि की है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने जिलों से आ रही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (सवर्ण) का आय प्रमाणपत्र बनाए जाने की मांग के मद्देनजर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को प्रस्ताव भेजा था। कार्यालय ने आचार संहिता के मद्देनजर इस पर चुनाव आयोग से मार्गदर्शन मांगा था। इसके बाद रविवार को प्रमाणपत्र बनाए जाने की अनुमति दी गई।
चुनाव आयोग की अनुमति के बाद केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (सवर्ण) आरक्षण का प्रावधान होने के बाद प्रदेश के युवाओं को इसका फायदा मिल सकेगा। इसके लिए निर्धारित प्रपत्र में प्रमाणपत्र बनाकर देने के अधिकार जिलों को दे दिए। इस आरक्षण का लाभ आठ लाख रुपए तक सालाना आय वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (सवर्ण) युवाओं को मिलेगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि कलेक्टरों ने प्रमाणपत्र बनाने अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार को अधिकृत किया है। वे प्रमाण पत्र केंद्र सरकार की गाइडलाइन और प्रारूप के मुताबिक बनाएंगे। जैसे-
- प्रमाणपत्र में परिवार की वार्षिक आय,
- पांच एकड़ या इससे अधिक कृषि भूमि,
- एक हजार वर्गफीट या इससे अधिक का फ्लैट,
- अधिसूचित नगरपालिकाओं में सौ वर्गफीट या इससे अधिक का रहवासी भूखंड,
- दो सौ वर्गफीट या इससे अधिक का रहवासी भूखंड की जानकारी होनी चाहिए।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में अभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (सवर्ण) आरक्षण लागू नहीं हुआ है।