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अब सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हिंदी में मिलेगा

अब सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हिंदी में मिलेगा

नई दिल्ली। हमारा देश अंग्रेजों से सात दशक पहले ही आजाद हो चुका है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में आज भी बहस और फैसले अंग्रेजी में ही सुनाए जाते हैं। लेकिन रंजन गोगोई के नये मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद एक नई उम्मीद जगी है। मुख्य न्यायाधीश का कहना है कि विभिन्न राज्यों से आने वाले हजारों लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है ऐसे में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का अंग्रेजी आदेश व फैसला समझ में नहीं आता है, जबकि कई मामलों के फैसले बेहद गंभीर होते हैं इसलिए इन फैसलों को हिंदी में अनुवाद करके देने पर विचार हो रहा है। इसके बाद इसका क्षेत्रीय भाषाओं में भी अनुवाद करने की कोशिश की जाएगी। इतना ही नहीं बड़े फैसलों को संक्षिप्त करके एक या दो पन्नों में किया जाएगा। जिससे आम लोग भी कोर्ट के फैसले को समझ सकें। 

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को पत्रकारों के साथ हुई अनौपचारिक बातचीत में कहा कि अगर कोई व्यक्ति 35 साल तक मुकदमा लड़ता है और अपनी जमीन हार जाता है, तो उसके हाथ में अंग्रेजी का फैसला पकड़ाया जाता है, जिसमें उसके जमीन हारने की बात होती है, लेकिन वह उस फैसले को नहीं समझ सकता, क्योंकि उसे अंग्रेजी नहीं आती। वह अगर फैसला समझने के लिए वकील के पास जाता है तो वकील पैसे लिए बगैर फैसला समझाता नहीं है। ऐसे लोगों के लिए फैसलों का अनुवाद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह फैसलों का हिंदी में अनुवाद कराने पर विचार कर रहे हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में भी अनुवाद करने की कोशिश की जाएगी। वहीं मुख्य न्यायाधीश द्वारा बनाया गया थिंक टैंक सर्वोच्च न्यायालय के सैकड़ों पेज के तकनीकी कानूनी भाषा के फैसलों की आम जनता की समझ में आने वाली सीधी साधी भाषा में समरी तैयार करेगा। जिससे जो फैसले सर्वोच्च न्यायालय देता है वह वादी की समझ में आ सके।

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार