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सभी नागरिकों को मृत्यु प्रमाण पत्र

सभी नागरिकों को मृत्यु प्रमाण पत्र

मृत्यु प्रमाणपत्र

मृत्यु प्रमाणपत्र एक दस्तावेज होता है , जिसे मृत व्यक्ति के नजदीकी रिश्तेदारों को जारी किया जाता है , जिसमें मृत्यु की तारीख तथ्य और मृत्यु के कारणों का विवरण होता है ।

मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए कानून

जन्म और मृत्यु पंजीकरम अधिनियम ,1969

1-मृत्यु होने के 21 दिनों के भीतर संबंधित राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में पंजीकरण कराना जरुरी है ।

महापंजीयक- केंद्र में मृत्यु का पंजीकरण का काम करता है ।

मुख्य पंजीयक- राज्यों में मृत्यु का पंजीकरण का काम करता है ।

जिला पंजीयक- गांवों में मृत्यु का पंजीकरण का काम करता है ।

पंजीयक परिसर- नगरों में मृत्यु का पंजीकरण का करता है ।

मृत्यु प्रमाणपत्र की प्रक्रिया

  1. -मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदन के लिए पहले पंजीकरण कराएं ।
  2. -प्रपत्र भरने और उचित सत्यापन के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाता है ।
  3. -अगर मृत्यु होने के 21 दिन के भीतर मृत्यु का पंजीकरण नहीं किया जाता है तो पंजीयक या क्षेत्र मजिस्ट्रेट से निर्धारित शुल्क के साथ अनुमित दी जायेगी ।
  4. -आवेदन प्रपत्र क्षेत्र के स्थानीय निकाय, प्राधिकरणों या पंजीयक के पास उपलब्धहोता है , जो मृत्यु रजिस्टर का रखरखाव करता है।
  5. -मृतक व्यक्ति के जन्म का प्रमाणपत्र एक वचनपत्र , जिसमें मृत्यु का समय और तारीख लिखी हो, राशनकार्ड की एक प्रति और न्यायालयीन स्पैंप के रुप में अपेक्षित शुल्क भी जमा करना पड़ सकता है ।
  6. -घर पर मृत्यु होने पर मृत्यु की रिपोर्ट या इसका पंजीकरण परिवार के मुखिया के द्वारा किया जा सकता है ।
  7. -मृत्यु का पंजीकरण संबंधित प्राधिकारी के पास मृत्यु के 21 दिनों के भीतर पंजीयक द्वारा निर्धारित प्रपत्र भरने के बाद किया जाता है ।
  8. -अगर मृत्यु अस्पताल में होती है तो चिकित्सा प्रभारी पंजीकरण किया जाता है ।
  9. -अगर मृत्यु जेल में होती है तो जेल प्रभारी पंजीकरण करता है ।
  10. -अगर शव लावारिश पड़ा हो तो ग्राम का मुखिया या स्थानीय प्रभारी पंजीकरण करता है।

संलग्नक सूची 

1.पहचान से सम्बंधित निर्वाचन आयोग द्वारा जारी वोटर कार्ड/पैन कार्ड /ड्राइविंग लाइसेन्स/राष्ट्रीयकृत बैंक की फोटो युक्त पासबुक/राशन कार्ड/स्वप्रमाणित घोषणा पत्र से कोई एक की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करना होगा।

2.चिकित्सालय का जन्म /मृत्यु प्रमाण पत्र अथवा जहाँ पर चिकित्सालय नहीं है अथवा चिकित्सालय होते हुए भी चिकित्सालय में बच्चे का जन्म/मृत्यु नहीं हुई है ऐसी दशा में आवेदक को जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र के सम्बन्ध में ग्राम प्रधान/क्षेत्रीय पार्षद/सांसद /एम .बीबी. एस डॉक्टर में से किसी एक का हस्ताक्षर एवं मोहर सहित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

मृत्यु प्रमाणपत्र के लाभ

1-जन्म प्रमाणपत्र बहुत महत्वपूर्ण पहचान का दस्तावेज है । इसके होने पर नागरिक सरकार की बहुत सारी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं ।

2-यह सभी प्रयोजनों के लिए किसी की मृत्यु की तारीख और तथ्य को प्रमाणित करता है ।

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार