जयपुर (राजस्थान)। हमारे देश में आम राय है कि पुलिस कमजोर और गरीब व्यक्ति को न्याय दिलाने की बजाय अन्याय ही करती है। यदि गरीब को न्याय प्राप्त करने के लिए पुलिस की मदद चाहिए तो उसकी किसी नेता या अधिकारी से पहचान होनी चाहिए या फिर पुलिस को देने के लिए उसके पास धन होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो उसे न्याय की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। पुलिस का ऐसा ही कारनामा बीकानेर जिले की नोखा तहसील में देखने को मिला है, जहां के डीएसपी महमूद खान को शुक्रवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार करने के एवज में 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा है। मामले में महमूद खान से पूछताछ जारी है।
परिवादी पनाराम जाट का कहना है कि उसकी बहन को ससुराल वाले दहेज के लिए परेशान कर रहे थे। जिसके चलते उसके ताऊजी ने देशनोक थाना में मामला दर्ज कराया था। इस दौरान बहन की मृत्यु हो गई। जिसके बाद से मामले की जांच महमूद खान कर रहे थे। बहन की मृत्यु के आरोपियों के खिलाफ 304 बी के तहत पहले से मामला दर्ज था, पर महमूद खान उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रहे थे। जिससे परेशान होकर परिवादी पनाराम जाट ने महमूद खान की शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में कर दी। एसीबी के एएसपी रजनीश पुनिया ने बताया कि पनाराम जाट ने अपनी शिकायत में बताया था कि दहेज के कारण उसकी बहन की हत्या से जुड़े मामले में नोखा के डीएसपी महमूद खान आरोपियों को गिरफ्तार करने के बदले रिश्वत की मांग कर रहे हैं। जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने इस शिकायत का सत्यापन किया तो यह बात सामने आयी कि महमूद खान पनाराम जाट से दो लाख रुपये रिश्वत मांग रहे हैं।
इसके बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने डीएसपी महमूद खान को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार करने की योजना बनायी। और फिर टीम की योजना के मुताबिक महमूम खान ने शिकायतकर्ता पनाराम को अपने सरकारी आवास पर बुला लिया। एसीबी की टीम ने पनाराम जाट को रिश्वत देने के लिए केमिकल लगा नोट देकर महमूद खान के पास भेजा दिया। पनाराम ने जैसे ही डीएसपी महमूद खान को 50 हजार रुपये दिए वैसे ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने उन्हें रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। और रुपये भी जब्त कर लिए। अब आगे की कार्रवाई जारी है।