लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। शहर में आजकल मोबाइल को लेकर सड़क पर चलना जान जोखिम डालने के बराबर हो गया है। अपराधी सरेआम आम लोगों पर हमला करके मोबाइल छीनकर फरार हो जा रहे हैं, और वहीं जनता की सेवक पुलिस लूट और चोरी की बजाय गुमशुदगी की ई-एफआईआर दर्ज करने के लिए आम जनता को मजबूर कर रही है। जबकि अब तक पुलिस द्वारा मजबूरी में दर्ज की गयी एफआईआर के भी मामले भी हजारों से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन सिर्फ 54 मोबाइल के बारे में पता चल सका है।
लखनऊ शहर में रोजाना करीब 9 मोबाइल गायब हो रहे हैं। शहर के एक थाने में चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे डालीगंज निवासी राजू का कहना है कि उन्होंने पुलिस वालों के कहने पर चोरी की जगह मोबाइल के गायब होने की शिकायत दर्ज कराई थी फिर भी उनका मोबाइल नहीं मिला। हजरतगंज थाना स्थित गुमशुदगी सेल में जून तक 1642 मामले दर्ज हो चुके हैं। हर घटना की रिपोर्ट दर्ज न होने और थानों में इसका ब्योरा तैयार न होने का ही नतीजा है कि गोमती नगर में पिछले दिनों बरामद 54 मोबाइल में सिर्फ 6 मोबाइल धारकों का पता चल सका।
वहीं झारखंड में मोबाइल चोरी के आरोप में गिरफ्तार राहुल प्रकाश ने बताया कि चोरी व लूट के मोबाइल लखनऊ शहर में सर्विलांस की मदद से पकड़े जा सकते हैं, इसलिए वे लोग ऐसे मोबाइल को पश्चिम बंगाल और झारखंड में ले जाकर बेचते हैं। लखनऊ से चोरी मोबाइल की लोकेशन बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल के नक्सली इलाकों में सर्विलांस के माध्यम से मिली है। मोबाइल चोर सूरज कश्यप का कहना है कि बाजार में आइ फोन की एलसीडी की मांग बहुत ज्यादा है। हम लोग शहर में चोरी, लूट और लावारिस मोबाइल को अपने ठिकानों पर बोरों में इकट्ठा करते हैं। जिन्हें कबाड़ के साथ पश्चिम बंगाल, बिहार व झारखंड सप्लाई कर देते हैं। वहीं पीड़ित लोगों की तमाम शिकायतों के बावजूद पुलिस इन मोबाइल्स के लिए इतनी दूर जाने को तैयार नहीं होती है। जिसके चलते पुलिस का यह मनमाना रवैया इन चोरों और लुटेरों के लिए वरदान साबित हो रहा है।