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200 के डंडे और 6000 की अदालती कार्रवाई !

200 के डंडे और 6000 की अदालती कार्रवाई !

गुरुग्राम (हरियाणा) । किसी कवि ने अपनी कविता में कचहरी के बारे में क्या खूब कहा है-

भले डांट घर में तू बीबी की खाना

भले जैसे -तैसे गिरस्ती चलाना

भले जा के जंगल में धूनी रमाना

मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना।

गुरुग्राम में ऐसा ही एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक दुकानदार चोरी हुए अपने सामान को लेने के लिए कचेहरी जाने को तैयार नहीं है। पुलिस ने दुकानदार के चोरी हुए चारों डंडों को जब्त कर लिया है, लेकिन दुकानदार को उन डंडों को पाने के लिए अदालत से आदेश लाना पड़ेगा, जिसमें करीब छह हजार रुपए का खर्चा आएगा। जिससे वह बहुत हैरान व परेशान है। 

आपको बता दें कि गुरुग्राम स्थित राजीव कॉलोनी में रहने वाला तिलक यादव जीवनी हार्डवेयर नाम से एक दुकान चलाता है। इस दुकान में 15 मई को चोरी हो गई थी। चोर 700 रुपए नगद, 3 टंकी और 4 लकड़ी के डंडे चोरी कर ले गए थे। तिलक यादव ने सदर थाने में केस दर्ज करवाया था। जिसके बाद सेक्टर-31 की क्राइम ब्रांच टीम ने  प्रताप नगर कॉलोनी निवासी अजय उर्फ बेबी व राहुल को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया और उनसे दो सौ रुपए कीमत के चारों डंडों को बरामद कर लिया, जबकि ये चोर तीनों टंकियों को बेच कर सभी पैसों को नशे में उड़ा चुके थे। चोरों से बरामद चारों डंडे सदर पुलिस थाने में जमा हैं। पुलिस दुकानदार से कह रही है कि वह बरामद डंडा ले जाए, लेकिन दुकानदार इन डंडों को लेने ही नहीं आ रहा है। दरअसल इन डंडों को प्राप्त करने की प्रक्रिया इतनी पेचीदा है कि दुकानदार हैरान और परेशान है। आखिर वह क्या करे। दरअसल इन डंडों को वापस लेने के लिए दुकानदार को अदालत से आदेश लाना पड़ेगा। उसे इस आदेश को प्राप्त करने के लिए करीब 6000 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। गुड़गांव की अदालत के एक वकील का कहना है कि अदालत में सुपरदारी का आवेदन लगाना होता है। इसके लिए स्टैंप पेपर लगेगा। वकील फीस के तौर पर एक हजार रुपये से 5 हजार के बीच लेते हैं। कोर्ट से ऑर्डर लेकर थाने जाना होता है, जिसके बाद सामान पुलिस वापस करती है। सुपरदारी की इस पूरी प्रक्रिया में करीब 6 हजार रुपये तक खर्च होंगे।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार