रोहतक (हरियाणा) । पुलिस का ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसके चलते एक बीटेक के छात्र की जिंदगी नरक बन गयी है। नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के मामले में पुलिस की गलत जांच की वजह से छात्र को पांच साल की जेल में बिताना पड़ा। लेकिन निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए हाईकोर्ट ने युवक को बरी कर दिया। छात्र बेगुनाह साबित हो गया है, लेकिन समाज उसे दागी मानकर अब स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
आपको बता दें कि रोहतक के सांपला के निवासी प्रिंस को जेल होने की वजह से न तो नौकरी मिल रही और न ही बीटेक की आगे की पढ़ाई करने के लिए कोई कालेज प्रवेश दे रहा है। वह परिवार के गुजर बसर के लिए नौकरी की तलाश कर रहा है। ऐसे में नाबालिग से दुष्कर्म के दाग ने बीटेक के एक छात्र की जिंदगी नरक बना दी है। चाय की दुकान चलाने वाले उसके पिता को लकवा हो चुका है। और 15 लाख कर्ज होने के कारण घर भी गिरवी है। वहीं समाज के बहिष्कार से परेशान प्रिंस का कहना है कि गलती किसी ने की और भुगत वह रहा है, क्या कानून में कोई ऐसा भी नियम है, जिससे बेगुनाहों को समाज स्वीकार न करे तो कार्रवाई हो।
गौरतलब है कि रोहतक के सांपला पुलिस थाने में सितंबर 2013 में एक व्यक्ति ने शिकायत दी थी कि उसकी चार वर्षीय की बेटी के साथ कस्बे के रहने वाले प्रिंस उर्फ चिन्नू ने दुष्कर्म किया है। शिकायत के मिलने के बाद पुलिस ने प्रिंस को गिरफ्तार कर लिया। और कोर्ट के आदेश पर उसे जेल भेज दिया। 31 मार्च 2016 को अगली सुनवाई के दौरान अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीमा सिंगल की कोर्ट ने आरोपित प्रिंस को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा और 20 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया। इसके बाद परिजन हाईकोर्ट की शरण में गए । हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई बाद चार दिसंबर 2018 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट को दोबारा से मामले की सुनवाई करने के आदेश दिए। और साथ ही प्रिंस को जमानत भी दे दी। आरपी गोयल की कोर्ट में तीन माह तक चली सुनवाई के बाद फरवरी माह में प्रिंस को दोष मुक्त कर दिया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की लापरवाही सामने आई थी। जिसके चलते प्रिंस को पांच साल तक जेल में रहना पड़ा और उसकी जिंदगी नरक हो गयी।