भोपाल (मध्य प्रदेश)। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए होने वाले मतदान से पहले आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने शिवराज सरकार के दौरान ई-टेंडरिंग घोटाले में एफआईआर दर्ज की है। इसमें सात कंपनियों, मध्य प्रदेश सरकार के पांच अलग-अलग विभागों के अफसरों और अज्ञात नेताओं के नाम शामिल हैं। जल्द ही आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट पेश की जाएगी। और उनके खिलाफ भी जांच की जाएगी।
इकोनॉमिक ऑफेंस विंग के डीजी के.एन. तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार के 5 विभागों के 9 टेंडरों के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ करके कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाया गया। इन 5 विभागों में मध्य प्रदेश जल निगम, पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन विभाग, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम और पीडब्ल्यूडी का पीआईयू विभाग शामिल हैं। इकोनॉमिक ऑफेंस विंग के डीजी के मुताबिक करीब 3 हज़ार करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में नई दिल्ली के कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ने अपनी जांच में भी ये पाया था कि हैकर्स सरकार के ई-प्रॉक्योरमेंट सॉफ्टवेयर में सेंध लगाने में कामयाब हो गए थे। पिछले महीने ही जांच एजेंसी ने ईओडब्ल्यू को जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें ये बताया था कि ई-टेंडर में बदलाव किए गए थे और कई लोगों ने अनाधिकृत रुप से सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ की थी। इसके लिए एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में उन कम्प्यूटर सिस्टम के आईपी नंबर भी बताए हैं, जिसके जरिए जल निगम के तीन टेंडरों को हैक किया गया था और फिर छेड़छाड़ करके मनपसंद कंपनी को फायदा पहुंचाया गया। इसके बाद जांच एजेंसी ने ईओडब्ल्यू से 6 दूसरे टेंडरों के लॉग मांगे थे। ताकि जांच की जा सके।
बताया जा रहा है कि पीएचई, पीडब्ल्यूडी और जल संसाधन विभाग में तीन हजार करोड़ के ई-टेंडर में छेड़छाड़ के मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद संबंधित विभाग में पदस्थ रहे प्रमुख सचिव से लेकर तत्कालीन मंत्रियों से भी पूछताछ हो सकती है।