नई दिल्ली । तीस हजारी अदालत ने पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के पांच पुलिसकर्मियों को 10 साल कारावास की सजा सुनाई है। जबकि अदालत ने एक अन्य दोषी को 3 साल की सजा सुनाई है। और साथ ही इन सभी दोषियों पर लाखों का जुर्माना भी ठोका है।
आपको बता दें कि यह मामला साल 2006 का है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर यह केस दिल्ली की तीस हजारी अदालत में चल रहा था। मृतक सोनू के पिता दलबीर सिंह के मुताबिक बुलदंशहर के खुर्जा के सिकरी का निवासी प्रॉपर्टी डीलर कुंवर पाल पांच लोगों के साथ 2 सितंबर 2006 को खुर्जा में गांव हजरतपुर स्थित उनके घर पहुंचा। और प्रॉपर्टी डीलर का काम करने वाले उसके बेटे सोनू को कोई जमीन दिखाने के लिए साथ ले गया। और फिर मोबाइल लूट में संदिग्ध मानकर कुंवरपाल और उसके साथी पुलिसकर्मियों ने सोनू को नोएडा की कोतवाली सेक्टर 20 की निठारी चौकी में लाकर बेरहमी से पीटा। जिससे उसकी मौत हो गयी । इसके बाद एसओजी टीम के इन पुलिसकर्मियों ने सोनू को लॉकअप में फांसी से लटका दिया। और थाने के रोजनामचा में दर्ज कर दिया कि सोनू ने आत्महत्या कर ली। मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, उसके शरीर के कई हिस्सों पर चोट के निशान थे। पिता का कहना है कि कुंवर पाल का सोनू के साथ पैसों की लेनदेन को लेकर विवाद था।
सोनू के पिता मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। जब जांच की गयी तो मामले का खुलासा हुआ। अदालत ने अपने आदेश में अवैध हिरासत और गैर इरादतन हत्या सहित विभिन्न धाराओं में सब इंस्पेक्टर हिंदवीर सिंह, महेश मिश्रा और सिपाही प्रदीप, पुष्पेंद्र, हरिपाल को दस-दस साल की सजा सुनाई और उन पर 35-35 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि हिंदवीर सिंह और महेश मिश्रा पांच-पांच लाख रुपये बतौर मुआवजा मृतक के पिता को देंगे, जबकि अन्य तीन दोषी दो-दो लाख रुपये मुआवजा देंगे। इसके अलावा वारदात में बिचौलिये कुंवर पाल को तीन साल कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा दी गई। साथ ही एक लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया गया। गौरतलब है कि साल 2006 में इस घटना की चर्चा पूरे प्रदेश में थी।