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छत्तीसगढ़ पुलिस सुधार में एतिहासिक कदम

छत्तीसगढ़ पुलिस सुधार में एतिहासिक कदम

रायपुर। पुलिस सुधार की मुहिम के तहत छत्तीसगढ़ सरकार आजादी के बाद सबसे बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार पुलिस में क्राइम इनवेस्टिगेशन (अपराधों की जांच) और लॉ एंड आर्डर (कानून व्यवस्था) बनाए रखने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन करने जा रही है। फरवरी में पेश होने जा रहे बजट में वित्त विभाग इससे संबंधित प्रस्ताव लाने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के एक फैसले में जांच और कानून व्यवस्था का काम अलग-अलग टीमों को देने की बात कही थी। लेकिन किसी भी राज्य ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया। छत्तीसगढ़ वह पहला राज्य होगा जो इस दिशा में काम करने जा रहा है।

आपको बता दें कि राज्य में कांग्रेस की नई सरकार के आने के बाद से पुलिस सुधार की मुहिम चल रही है। नए डीजीपी डीएम अवस्थी ने पदभार ग्रहण करते ही जिलों में पदस्थ क्राइम ब्रांचों को भंग कर दिया है। अब नई व्यवस्था बनाने की कवायद चल रही है। गृह विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव बनाकर दिया है, जिसे आगामी बजट में शामिल किया जाना है। इस प्रस्ताव के मुताबिक थानों में दो क्राइम इनवेस्टिगेशन की टीम एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में गठित की जाएगी। इसी तरह एक अलग टीम लॉ एंड आर्डर के लिए होगी जिसका इंचार्ज इंस्पेक्टर होगा। इन दोनों इंस्पेक्टर के ऊपर एक सीनियर इंस्पेक्टर की नियुक्ति की जाएगी जिसे राजपत्रित अधिकारी का दर्जा दिया जाएगा। दोनों टीमें अपने थाने के सीनियर इंस्पेक्टर को रिपोर्ट करेंगी। सीनियर इंस्पेक्टर जिले के एसपी, डीएसपी या अन्य अधिकारी को रिपोर्ट करेगा। बजट में शामिल होने के बाद थानों में नई टीमों का गठन किया जाएगा। क्राइम इनवेस्टिगेशन के लिए पुलिस टीमों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें कानून के ज्ञान के साथ ही फारेंसिक और साइबर तकनीक का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

गौरतलब है कि भारत में पुलिस व्यवस्था पुलिस एक्ट 1861 के मुताबिक चल रही है। यह कानून अंग्रजों ने बनाया था। इसी वजह से आज भी पुलिस व्यवस्था को औपनिवेशिक कहा जाता है। स्वतंत्र भारत में पुलिस सुधारों के लिए 1977 में पहली बार धर्मवीर की अध्यक्षता में राष्ट्रीय पुलिस आयोग का गठन किया गया। इस आयोग ने भी जांच और कानून व्यवस्था के लिए अलग टीमों की सिफारिश की थी। 1998 में जेएफ रिबरो समिति, 2000 में पद्मनाभैया समिति, आपात काल के दौरान गठित शाह आयोग सभी ने पुलिस सुधारों की वकालत की लेकिन कुछ नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी कोई काम नहीं हो पाया।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार