लखनऊ (उत्तर प्रदेश) । मध्य प्रदेश में फर्जी डिग्री एवं मार्कशीट के जरिए पटवारी की नौकरी प्राप्त करने वाले 12 आरोपियों पर 10-10 हजार रुपए का ईनाम घोषित हुआ है। फर्जीवाड़ा करने वाले सभी आरोपी मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के निवासी हैं।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री और मार्कशीट के बहुत बड़े मामले का खुलासा हुआ था। जिसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी ने वर्ष 2014 में मामले की जांच शुरू की थी। जांच में सामने आया था कि बीएड परीक्षा सत्र 2005 में भारी अनियमितता हुई थी। इस पर एसआइटी ने धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी। एसआइटी के अधिकारियों के मुताबिक जांच में सामने आया था कि मध्य प्रदेश के अशोकनगर निवासी रानू सिंह रघुवंशी, परमाल सिंह रघुवंशी, भूपेंद्र सिंह, देवेन्द्र सिंह रघुवंशी, सत्येंद्र सिंह रघुवंशी, शिवकुमार रघुवंशी, विनोद सोनी, शशि काले, अभिलाषा काले, रामकुमार, श्वेता श्रीवास्तव व अनिल यादव को भी आरोपित बनाया गया है। शशि व अभिलाषा बहनें हैं। इस जांच में बताया गया कि आरोपितों ने विवि की बीसीए व पीजीडीसीए की फर्जी मार्कशीट व डिग्री के जरिये मध्य प्रदेश में वर्ष 2008 में पटवारी की ट्रेनिंग कर ली थी। एसआइटी की रिपोर्ट पर मध्य प्रदेश पुलिस ने इंदौर व खरगौन में कुछ आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की थी, लेकिन अशोकनगर के आरोपितों के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी थी। एसआइटी ने पूर्व में आरोपितों के खिलाफ कोर्ट से कुर्की का आदेश भी हासिल किया था। आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जांच एजेंसी ने मध्य प्रदेश पुलिस से संपर्क भी साधा था। डीजीपी मध्य प्रदेश को इस बाबत पत्र भी लिखा गया था।
एसआइटी की जांच में सामने आया था कि आगरा के डॉ.भीमराव अंबेडकर विवि के बीएड सत्र 2005 की अंकतालिका में 3517 फर्जी छात्रों का समावेश करते हुए उन्हें अंक प्रदान किए गए थे। वे अभ्यर्थी किसी भी महाविद्यालय के छात्र नहीं थे। जबकि 1053 छात्रों को अंक वृद्धि की हुई मार्कशीट प्रदान की गई। इस तरह कुल 4570 छात्रों को फर्जी अंक तालिकाएं वितरित की गईं। जांच में अन्य कोर्स की फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाये जाने की बात भी सामने आई थी। जांच एजेंसी ने 4570 फर्जी छात्रों की सूची भी विवि को भेजी थी। मामले में एसआइटी ने पूर्व में उत्तर प्रदेश में विवि के चार कर्मचारियों सहित छह आरोपितों को गिरफ्तार किया था। प्रकरण में एसआइटी विवि के कुछ अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। अब देखना यह होगा कि आरोपितों के खिलाफ आगे क्या कार्रवाई होती है।