नई दिल्ली । सरकारी छूट का फायदा नहीं लेने वाले नागरिकों के लिए राहत की खबर है। देश के नागरिकों को जल्द ही आधार नंबर लौटाने यानी सरेंडर करने का अधिकार मिल सकता है। भारतीय विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार अधिनियम में संशोधन के लिए कैबिनेट नोट तैयार कर लिया है। इस बाबत एक प्रस्ताव को अंतिम रूप देने की कवायद अपने अंतिम चरण में है। इस संशोधन के बाद सभी नागरिकों को बायोमेट्रिक्स और डाटा समेत अपना आधार नंबर वापस लेने का विकल्प दिया जा सकेगा। ताजा संशोधन के बाद आधार कार्ड से अपना नाम हटवाने के बाद उपभोक्ता का डाटा भी हमेशा के लिए डिलीट कर दिया जाएगा।
भारत की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा प्रारंभिक प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसमें कहा गया कि एक बार जब बच्चा 18 वर्ष का हो जाता है, तो उसे यह तय करने के लिए 6 महीने दिए जाएंगे कि वह आधार नंबर वापस लेना चाहता है या नहीं। यह प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा गया था। मंत्रालय ने इसे आगे सिफारिश की है कि सभी नागरिकों को आधार नंबर वापस लेने का विकल्प उपलब्ध कराया जाए और यह किसी विशेष समूह तक ही सीमित न हो। दूरसंचार कंपनियां इसके लिए विकल्प तैयार कर चुकी हैं, जबकि अन्य द्वारा भी इसका प्रयोग अब नहीं किया जा रहा है। ऐसे में सरकारी छूट नहीं ले रहे नागरिकों के लिए आधार नंबर रखना अनिवार्य नहीं होगा। इसी के मद्देनजर कानून मंत्रालय ने प्राधिकरण को आधार लौटाने का अधिकार सिर्फ बच्चों को नहीं, बल्कि सभी को मुहैया कराने की राय दी। प्राधिकरण ने मंत्रालय की राय पर कैबिनेट नोट तैयार कर लिया है। अगर कैबिनेट नागरिकों को आधार लौटाने की मंजूरी प्रदान कर देता है, तो कोई भी व्यक्ति यूआईडीएआई के सर्वर में सुरक्षित बायोमेट्रिक समेत अपना पूरा डाटा आधार से हटा सकेगा। यूआईडीएआई के एक अधिकारी के मुताबिक कैबिनेट द्वारा आधार लौटाने की व्यवस्था की मंजूरी मिलने के बाद अगर कोई आधार वापसी करेगा, तो वह सरकार से कोई सब्सिडी नहीं ले सकेगा। अगर भविष्य में वह सब्सिडी लेना चाहेगा, तो उसे फिर आधार में पंजीकरण कराना होगा। इसके बाद ही वह सरकार द्वारा किसी भी सेवा में मुहैया कराई जा रही छूट का अधिकारी होगा। यह फैसला सिर्फ उन लोगों को लाभ पहुंचाएगा, जिनके पास पैन कार्ड नहीं है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने आधार के साथ पैन के संबंध को बरकरार रखा है।