नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा नहीं करने पर केंद्रीय सूचना आयोग ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का डूबे कर्ज पर लिखा पत्र सार्वजनिक किया जाए। आयोग ने इस संबंध में 16 नवंबर से पहले जवाब मांगा है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद 50 करोड़ रूपये और उससे अधिक का कर्ज लेने और जानबूझकर उसे नहीं चुकाने वालों के नामों के संबंध में आरबीआई ने सूचना नहीं उपलब्ध करायी। इसको लेकर नाराज केंद्रीय सूचना आयोग ने गवर्नर उर्जित पटेल से ये बताने के लिए कहा है कि फैसले की ‘‘अनुपालना नहीं करने’’ को लेकर उन पर क्यों न अधिकतम जुर्माना लगाया जाए। वहीं सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू का कहना है, कि आरटीआई नीति को लेकर जो आरबीआई गवर्नर और डिप्टी गवर्नर कहते हैं और जो उनकी वेबसाइट कहती है, उसमें कोई मेल नहीं है। जयंती लाल मामले में सीआईसी के आदेश की सुप्रीम कोर्ट की ओर से पुष्टि किए जाने के बावजूद सतर्कता रिपोर्टों और निरीक्षण रिपोर्टों में अत्यधिक गोपनीयता रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस अवज्ञा के लिए सीपीआईओ को दंडित करने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने शीर्ष प्राधिकारियों के निर्देश पर कार्य किया। आचार्युलू ने कहा, ‘आयोग गवर्नर को डीम्ड पीआईओ मानता है, जो कि खुलासा नहीं करने और सुप्रीम कोर्ट व सीआईसी के आदेशों को नहीं मानने के लिए जिम्मेदार हैं।
केंद्रीय सूचना आयोग के अनुसार, आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने गत 20 सितम्बर को केंद्रीय सतर्कता आयोग में कहा था कि सतर्कता पर केंद्रीय सतर्कता आयोग की ओर से जारी दिशानिर्देश का उद्देश्य अधिक पारर्दिशता, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देना तथा उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले संगठनों में समग्र सतर्कता प्रशासन को बेहतर बनाना है।