भागलपुर (बिहार) । भागलपुर जिले के शाहकुंड थाना क्षेत्र की पुलिस ने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी। यहां के थानाध्यक्ष ने पचास हजार रुपए की रिश्वत न मिलने पर व्यापारी को थाने में बंद करके उसके गुप्तांग में पेट्रोल डाला और फिर उसकी बेरहमी से पिटाई की। इस बात का खुलासा पीड़ित व्यापारी रमेश कुमार ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसडीजेएम) एसके सिंह की अदालत में किया। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने मामले का तुरंत संज्ञान लेते हुए पीड़ित की मेडिकल जांच करने के आदेश दिए हैं।
पीड़ित व्यापारी रमेश ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एस के सिंह की अदालत में बताया कि मारपीट के एक पुराने मामले में 9 अगस्त की शाम को थानाध्यक्ष अपनी टीम के साथ उसे गिरफ्तार करने आए थे। इस दौरान थानाध्यक्ष सुनील कुमार उसकी दुकान के गल्ले से जबरदस्ती पांच हजार रुपए निकाल लिए । इसके बाद उसे कॉलर पकड़कर घसीटते हुए थाने ले गए। थाने पहुंचने पर थानाध्यक्ष ने उसका मोबाइल छीनकर उसे हवालात में बंद कर दिया। इसके बाद देर रात को थानाध्यक्ष सुनील कुमार हवालात में आए उसकी बेरहमी से पिटाई की। उनका इतने से भी दिल नहीं भरा तो उन्होंने दो सिपाहियों को बुलाकर उसके कपड़े उतरवाकर गुप्तांग में पेट्रोल डलवा दिया। इस दौरान वह दर्द से तड़पता रहा, लेकिन उन्हें जरा भी दया नहीं आयी। रमेश कुमार का कहना है कि उनकी बर्बरता यहीं खत्म नहीं हुई। उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि यदि उसने पुलिस के खिलाफ केस किया तो उसे जान से मार देंगे।
व्यापारी रमेश कुमार ने अपने साथ घटित हुई घटना की पूरी कहानी मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, आईजी और मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर बताई है। जिसके बाद डीआईजी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। उनका कहना है कि आरोप साबित होने पर आरोपी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। डीआईजी ने एसपी से इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है। वहीं मानवाधिकार संगठन ने इस मामले में पुलिस को दोषी ठहराया है। उनका कहना है कि पुलिस के आला अधिकारियों ने पहले इस मामले को संज्ञान में क्यों नहीं लिया। इसका उन्हें जवाब देना चाहिए।