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कंधे पर भाई का शव लेकर भटकता रहा युवक !

कंधे पर भाई का शव लेकर भटकता रहा युवक !

देहरादून (उत्तराखंड)। एक ऐसी हृदय विदारक घटना सामने आयी है, जिसे देखकर इंसानियत शर्मशार हो गयी। एक गरीब व्यक्ति अपने छोटे भाई की लाश कंधे पर उठाकर इधर से उधर भटकता रहा, लेकिन अस्पताल के डाक्टरों ने उसकी मदद नहीं की। दरअसल शव को घर तक ले जाने के लिए उसके पास निजी एंबुलेंस करने के लिए पैसे नहीं थे। उस गरीब ने कई लोगों से मदद की विनती की, लेकिन कोई आगे नहीं आया। हालांकि कुछ समय बाद अस्पताल के कर्मचारी और इलाज के लिए वहां आए किन्नरों ने निजी एंबुलेंस के लिए 3000 रुपए चंदा जुटाकर शव को उसके घर भेजा। 

आपको बता दें कि सड़क के किनारे ठेला लगाने वाले पंकज का छोटा भाई सोनू उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के धामपुर में हलवाई की दुकान में काम करता था। सोनू टीबी से ग्रस्त था। जब सोनू की तबियत ज्यादा खराब हुई तो पंकज इलाज के लिए उसे देहरादून ले आया, लेकिन इलाज के दौरान ही गुरुवार को दून मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में उसकी मौत हो गई। पंकज ने अपने भाई के शव को धामपुर ले जाने के लिए निजी एंबुलेंस संचालक से बात की, जिसने 5000 रुपये किराया बताया, लेकिन उसके पास महज 1000 रुपये थे। ऐसी दशा में पंकज ने शव को ले जाने के लिए अस्पताल के 108 एंबुलेंस के चालक से बात की, लेकिन उसने शव ले जाने से मना कर दिया है। उसका कहना था कि 108 एंबुलेंस में  शव नहीं ले जाते हैं। 

गौरतलब है कि दून अस्पताल में श्वास एवं छाती रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. रामेश्वर पांडे सोनू को देख रहे थे। उन्होंने आर्थिक हालत को देखते हुए तमाम जांच निश्शुल्क लिखी, लेकिन उसके उत्तराखंड का मूल निवासी न होने के कारण यह सुविधा भी नहीं मिल पाई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को समाचार पत्रों में प्रकाशित “दून अस्पताल में  शव के लिए स्ट्रेचर या वाहन न मिलने “ सम्बंधी समाचार का संज्ञान लेते हुए सचिव स्वास्थ्य से प्रकरण की रिपोर्ट तलब की। सचिव स्वास्थ्य ने इस सम्बंध में चिकित्सा अधीक्षक का जवाब तलब किया। चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि मृतक रोगियों को ले जाने के लिए रोगी एंबुलेंस का प्रयोग इसलिए नहीं किया जाता क्योंकि इससे अन्य रोगियों में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। मृतक रोगियों को ले जाने के लिए मृतक वाहन चिकित्सालय में उपलब्ध नहीं है। मृतक वाहन की व्यवस्था के लिए निविदा प्रक्रिया चल रही है। चिकित्सा अधीक्षक द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को अपर्याप्त मानते हुए मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य महानिदेशक को एक सप्ताह में विस्तृत जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार