उन्नाव (उत्तर प्रदेश)। गरीब जनता को परेशान करने के लिए बदनाम उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक और हैरतंगेज कारनामे को अंजाम दिया है। उन्नाव गैंगरेप मामले में जब प्रधानमंत्री कार्यालय ने विधायक के खिलाफ रिपोर्ट मांगी तो उन्नाव पुलिस ने रसूखदार आरोपी विधायक के मन माफिक रिपोर्ट बनाकर प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दी।
आपको बता दें कि पीड़िता किशोरी और उसके चाचा की पुलिस ने नहीं सुनी तो उसने 13 अगस्त को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को शिकायती पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई। पीएमओ से कार्यकारी सचिव राकेश मिश्र ने 14 अगस्त को एक पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के कार्यालय को भेजा, जिसमें पीडि़ता की शिकायत वाले बिंदुओं को अंडरलाइन करते हुए जांच कराकर कार्रवाई करने और उसकी रिपोर्ट भी मांगी गई। इस पर वहां से उन्नाव पुलिस को भेजकर रिपोर्ट मांगी गई। गौर करने वाली बात यह है कि 17 अगस्त को डीएम के माध्यम से एसपी कार्यालय पहुंची विधायक के खिलाफ शिकायत अगले ही दिन एसपी को मिली। माखी पुलिस ने इसमें ज्यादा समय नहीं लिया और तीसरे ही दिन 21 अगस्त को वापस रिपोर्ट भेज दी , जिसमें पीडि़त किशोरी को बहला फुसलाकर भगा ले जाने के मामले में आरोपियों को जेल भेजने की आख्या दी गई। विधायक पर लगाए गए आरोप को रिपोर्ट में फर्जी ठहरा दिया गया। अब पीडि़त परिवार का दर्द सामने आने के बाद फिलहाल अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। इससे यह माना जा रहा है कि पूर्व में तैनात रहे पुलिस अधिकारियों की तरह ही वर्तमान पुलिस अधिकारी विधायक के रसूख के आगे मौन ही नहीं रहे बल्कि उन्होंने वही किया जो विधायक ने कहा या उनके माफिक था। उस वक्त कार्रवाई होती तो शायद पीडि़ता के पिता की जान नहीं जाती।