सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)। नाहन के हेड कांस्टेबल को चेक बाउंस के मामले में रिश्वत लेना मंहगा पड़ गया। चेक बाउंस मामले में तीन हजार रुपये रिश्वत लेने का अभियोग साबित होने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिरमौर ने हेड कांस्टेबल को चार साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दोषी को 45 हजार रुपये जुर्माना भी भरना होगा। जुर्माना नहीं देने की सूरत में छह माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
आपको बता दें कि चेक बाउंस मामले में आरोपी को गिरफ्तारी से बचाने के लिए हेड कांस्टेबल ने रिश्वत की मांग की थी। विजिलेंस टीम ने जाल बिछाकर पुलिसकर्मी को रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। जिला न्यायवादी एमके शर्मा और स्टेट विजिलेंस एंड एंटी क्रप्शन ब्यूरो के अधिवक्ता सुनील वासुदेवा ने संयुक्त रूप से मामले की पैरवी की। जिला न्यायवादी एमके शर्मा ने बताया कि पच्छाद के फागला निवासी सतीश कुमार ने जून 2013 में भेलन निवासी वीरेंद्र सिंह को एक लाख का चेक दिया। बैंक खाते में राशि न होने से चेक बाउंस हो गया। वीरेंद्र ने इसकी शिकायत अदालत में की। अदालत ने सतीश कुमार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर एसएचओ पच्छाद को उसकी गिरफ्तारी के आदेश दिए। मुख्य आरक्षी (एचएचसी) हरि कृष्ण पच्छाद में कार्यरत था। हरिकृष्ण ने सतीश को फोन किया और उसकी गिरफ्तारी की सूचना दी। हेड कांस्टेबल ने गिरफ्तारी से बचाने के लिए सतीश से तीन किस्तों में नौ हजार रुपये की मांग की। सतीश ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की। विजिलेंस ने जाल बिछाया और आरोपी पुलिस कर्मी को तीन हजार रुपये देने के लिए बुलाया। 28 जनवरी, 2014 को सराहां में सब्जी की दुकान के समीप ही सतीश ने हरिकृष्ण को तीन हजार दिए। विजिलेंस टीम ने उसे रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। जिला न्यायवादी ने बताया कि इसके बाद विजिलेंस में भ्रष्टाचार अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया। अदालत में 26 गवाह और दलीलों के दम पर यह अभियोग साबित किया गया। अदालत ने आरोपी एचएचसी हरि कृष्ण निवासी गड्डा बुड्डी को भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा सात के तहत तीन साल कैद और 45 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी।