हमारे देश में विधायक चुनने की परपंरा इसलिए शुरू की गई थी कि जनता द्वारा निर्वाचित विधायक अपने-अपने क्षेत्र के विकास एवं समस्याओं को विशेष प्राथमिकता देंगे और वहां की जनता की सेवा करेंगे, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ ही है। आजकल विधायक बनना तो स्टेटस सिंबल बन गया है। विधायकों में अब जनसेवा की भावना तो दिखाई ही नहीं देती है। विधानसभा सदस्य बनने के बाद विधायक जनता की बजाय अपने परिवार की सेवा में जुट जाते हैं और रातों-रात खाकपति से करोड़पति बन जाते हैं। और कारों के काफिले और कमांडो की सुरक्षा में घूमने लगते हैं। वहीं उनको चुनने वाली जनता या कहें उनका मालिक उन्हें देखकर हैरान परेशान ताकता रह जाता है कि आखिर यह कैसा लोकतंत्र है। जिसमें रातों-रात नौकर मालिक हो जाता है और मालिक नौकर हो जाता है।