हमारे देश की जनता 'लोकसभा चुनाव' के जरिए अपना सांसद चुनती है। इन सांसदों की सहमति से ही देश के लिए नए कानून बनाए जाते हैं और पुराने कानूनों में न्यायोचित संशोधन किया जाता है। इसके साथ ही ये सांसद देश के विकास के लिए योजनाएं एवं देश के नागरिकों की तरक्की व रोजगार के लिए प्रबंधन भी करते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि संसद में देश का भविष्य तय किया जाता है। यानी सांसद देश का भाग्य विधाता होता है। लेकिन सच में क्या ऐसा है ? शायद नहीं ! लाखों रुपए वेतन-भत्ते और पांच करोड़ रुपए सांसद निधि पाने वाले हमारे भाग्य विधाता सांसद देश के नागरिकों का भाग्य बदलने की बजाय अपना और अपने परिवार का भाग्य बदलने में जुटे हुए हैं। वह रातों-रात खाकपति से करोड़पति बन रहे हैं। वहीं उनको चुनने वाली जनता उन्हें देखकर हैरान और परेशान है कि आखिर इनकी मनमानी कब रुकेगी?