नई दिल्ली। स्कूलो में बच्चों को दिए जाने वाले भोजन को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाली मिड डे मील योजना को लेकर केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। मिड डे मील योजना की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसको अब स्थानीय गांव वालों की देखरेख में तैयार कराने और बंटवाने का फैसला लिया है। इसके तहत सभी राज्यों से दो महीने के भीतर योजना तैयार कर उसे पेश करने को कहा गया है। माना जा रहा है कि ग्रामीणों की भागीदारी से मिड डे मील की गुणवत्ता में सुधार होगा।
इस फैसले के तहत प्रत्येक स्कूल स्तर पर एक टीम गठित होगी, जिसमें स्थानीय प्रबुद्ध लोगों के साथ ही स्कूलों में पढ़ने वालों बच्चों के अभिभावक भी शामिल होंगे। इन लोगों की टीम स्कूलों में हर दिन बनने वाले खाने पर नजर रखेगी। इसके साथ ही टीम यह सुनिश्चित करेगी, कि बच्चों को परोसा जाने वाला भोजन तय मापदंडों के अनुसार ही तैयार किया जाय। इतना ही नहीं गुणवत्ता में खामी पाए जाने पर टीम अपनी स्वतंत्र टिप्पणी स्कूल रजिस्टर में दर्ज करा सकेगी। इस टिप्पणी के पर बाद में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई तय होगी। इसके अलावा यह टीम कभी भी औचक निरीक्षण करने के लिए स्वतंत्र रहेगी।
आपको बता दें कि सरकार के पास मिड डे मील के तहत बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर काफी शिकायतें आ रही थी। हालांकि सरकार ने इन गड़बड़ियों को रोकने के लिए काफी सख्ती भी दिखाई गई, लेकिन शिकायतों में कमी नहीं आ रही थी। जिसके बाद सरकार ने गांव वालों को भी इस योजना में जोड़ने का फैसला किया । गौर करने वाली बात यह है कि सोशल आडिट से जोड़ने से पहले इसे देश के 13 राज्यों के दो-दो जिलों में पायलट के तौर लागू किया। उनमें महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, नगालैंड, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल आदि शामिल थे। जहां इसका काफी अच्छा परिमाण सामने आया है।