अपराधिक प्रकरण में समन-
- किसी भी अपराधिक प्रकरण में समन रजिस्टर्ड डाक से अथवा अखबार में प्रकाशन के माध्यम से तामील नहीं कराया जा सकता। अपराधिक प्रकरणों में अभियुक्त की उपस्थिति व्यक्तिगत रूप से आवश्यक होती है, इस कारण उसे व्यक्तिगत रूप से तामील कराया जाना आवश्यक है।
- यदि समन एक बार तामील हो भी गया और अभियुक्त पेशी पर उपस्थित नहीं हुआ तो जमानती या गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करना होगा। उसकी तामील भी व्यक्तिगत रूप से ही करानी पड़ेगी।
गिरफ्तारी के कानून
- पुलिस किसी भी व्यक्ति पर अपराध का आरोप होने पर ही उसे गिरफ्तार कर सकती है । केवल शिकायत अथवा शक के आधार पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है ।
न्यायालय का समन
- समन न्यायालय द्वारा जारी लिखित आदेश है । जिसके द्वारा न्यायालय किसी विवाद या आरोप से संबद्ध प्रश्नों का उत्तर देने के लिए किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थिति होने के लिए बाध्य कर सकता है ।
- अगर व्यक्ति समन स्वीकार करने से मना करे या न्यायालय के समक्ष अनुपस्थित हो तो न्यायालय गिरफ्तारी का वारंट जारी कर सकता है ।