अपना मुनाफा बढ़ाने के चक्कर में दुकानदार, कंपनी, डीलर या सर्विस प्रोवाइडर्स आपको धोखा दे सकते हैं। यदि आपको बिल्कुल गलत चीज मिल जाए या फिर उसमें कोई कमी हो। या कंपनी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है, तो आप चुप न बैठें। आप उपभोक्ता अदालत में शिकायत करें। उपभोक्ता अदालत में दुकानदार , निर्माता , डीलर या फिर सेवा प्रदाता के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।
उपभोक्ता अदालत में कौन शिकायत कर सकता है-
- पीड़ित उपभोक्ता
- कोई फर्म , भले ही यह रजिस्टर्ड न हो
- कोई भी व्यक्ति , भले ही वह खुद पीड़ित न हुआ हो
- संयुक्त हिंदू परिवार
- को-ऑपरेटिव सोसाइटी या लोगों का कोई भी समूह
- राज्य या केंद्र सरकारें
- उपभोक्ता की मौत हो जाने की स्थिति में उसके कानूनी वारिस
उपभोक्ता अदालत में शिकायत कैसे करें-
- शिकायत के लिए उपभोक्ता एक कागज पर अपनी शिकायत को सिलसिलेवार लिखें तथा जरूरी पेपर उसके साथ लगाएं। इनमें कैश मेमो, रसीद, एग्रीमेंट्स वैगरह हो सकते हैं।
- शिकायत में आपको लिखना होता है कि यह सब कहां हुआ, कब हुआ तथा संबंधित दुकानदारों, व्यक्तियों के नाम भी इस में लिखे जाते हैं ।
- शिकायत के साथ आरोपों को लेकर सभी दस्तावेज भी लगाएं और साथ में आपकी हानि को लेकर भी दस्तावेज प्रस्तुत करें। साथ ही आप उस राहत का भी विवरण दें जो कि आप पाना चाहते हैं।
- शिकायत में शिकायतकर्ताओं और विपक्षी पार्टी के नाम का विवरण और पता आदि भी लिखना होता है।
- शिकायत की 3 कॉपी जमा करानी होती हैं। इनमें एक कॉपी ऑफिस के लिए और एक विरोधी पार्टी के लिए होती है।
- शिकायत लिखित में होनी चाहिए तथा रजिस्टर्ड पोस्ट, ई-मेल, फैक्स के जरिए भेजी जा सकती है, लेकिन एक्नॉलेजमेंट नंबर लेना ना भूलें।
- व्यक्ति शिकायत अपने वकील के जरिए भी करवा सकता है और खुद भी केस दायर कर सकता है।
- शिकायत के साथ पोस्टल ऑर्डर या डिमांड ड्राफ्ट के जरिए फीस जमा करानी होगी। डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर, जिला उपभोक्ता अदालत या राज्य उपभोक्ता अदालत के पक्ष में बनेगा।
- यदि आप शिकायत करने में लेट हो जाते हैं तो उसको लेकर एक एफिडेफिट देना होगा। वहीं शिकायत में अपने हस्ताक्षर करना ना भूलें।
- संबंधित वस्तु खरीदने के दो वर्ष तक शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।
हर मामले की उपभोक्ता अदालत अलग-अलग होती है-
- 20 लाख रुपये तक के मामलों की शिकायत- जिला उपभोक्ता अदालत
- 20 लाख रुपये से ज्यादा और एक करोड़ रुपये से कम के मामलों की शिकायत- राज्य उपभोक्ता अदालत
- 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के मामलों की शिकायत- राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत
हर उपभोक्ता अदालत में एक फाइलिंग काउंटर होता है, जहां सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक शिकायत दाखिल की जा सकती है।
हर मामले की फीस अलग-अलग होती है-
- एक लाख रुपये तक के मामले के लिए – 100 रुपये
- एक लाख से पांच लाख रुपये तक के मामले के लिए – 200 रुपये
- 10 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 400 रुपये
- 20 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 500 रुपये
- 50 लाख रुपये तक के मामले के लिए – 2000 रुपये
- एक करोड़ रुपये तक के मामले के लिए – 4000 रुपये
उपभोक्ता अदालत से राहत-
- सामान अथवा वस्तु की खराबी को दुरुस्त करवाना
- सामान को बदलना
- खरीद मूल्य की वापसी
- हानि की क्षतिपूर्ति
- इसके साथ ही न्यायलय में वाद से संबंधित व्यय का भुगतान
आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं-
- राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर- 1800114000 (बीएसएनएल व एमटीएनएल उपभोक्ताओं के लिए) या 14404 (समय- 09:30 am से 05:30 pm)
- एसएमएस से शिकायत के लिए नंबर- 8130009809
शिकायत दर्ज होने पर फोरम स्वत: मामले की सुनवाई शुरू कर देगा। वह संबंधित संस्थान से स्पष्टीकरण मांगने के साथ ग्राहक को 90 दिन में न्याय दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर देगा।
- आप https://consumerhelpline.gov.in पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। यहां आपको अपने नाम, ईमेल आईडी, आदि की जानकारी देना होगी।
कोर्ट का आदेश पालन न करने पर सजा-
विपक्ष अगर कोर्ट का आदेश पालन न करे तो उसे शिकायतकर्ता को 10 हज़ार रुपए की पेनल्टी और 3 साल तक की सज़ा दी जा सकती है। सज़ा भुगतने के बाद भी आदेश का पालन करना बाकी रहता है तो जरूरत के मुताबिक आदेश का पालन करवाने के लिए प्रॉपर्टी भी जब्त की जा सकती है।