हमारे देश में अधिकतर दुकानदार उपभोक्ताओं को कम तौल करके सामान देते हैं। जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है। उपभोक्ता जानकारी और जागरूकता के आभाव में हमेशा कम तौल के शिकार होते रहते हैं। उपभोक्ता को चाहिए कि वह बाट और माप के नियमों की जानकारी रखें और खुद को कम तौल से बचाएं। बाट और माप के सरकारी नियम जो हर उपभोक्ता को पता होना चाहिए।
उपभोक्ता को सही बाट-माप का अधिकार-
- उपभोक्ता को दी गई कीमत के बदले सही मात्रा/वजन मिले, यह तय करना राज्य के माप-तौल विभाग की जिम्मेदारी है।
- दुकानदार के बाट और माप पर , तौल निरीक्षक की मुहर अनिवार्य रुप से लगी होनी चाहिए। यदि को दुकानदार पर शक हो तो वह उसके बाट को चेक कर सकता है।
- व्यापारी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे माप-तौल उपकरण (तराजू आदि) पर सील लगाने वाले इंस्पेक्टर का कोड, आईडी नंबर व वेरिफिकेशन का साल लिखा होता है।
- सामान कम तौलने या नापने वाले शख्स को जुर्माने के साथ-साथ सजा भी हो सकती है।
- बाट और माप विभाग द्वारा हर वर्ष बाटों पर लगने वाली मुहर को सत्यापित किया जाता है।
- बाट और माप विभाग द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट को डिस्प्ले करना व्यापारियों के लिए जरूरी है।
- अगर आपको फिर भी संदेह है तो व्यापारी से विभाग द्वारा जारी सर्टिफिकेट दिखाने को भी कह सकते हैं। अगर वह ऐसा न करे तो उसकी शिकायत करें।
- सामान की पैकिंग करने वाले व्यापारी को खुद को राज्य के माप-तौल विभाग में रजिस्टर्ड कराना जरूरी है, पैकिंग भले ही बोतल में की गई हो, टिन में या फिर रैपर में की गयी हो।
- रेस्ट्रॉन्ट या होटेल से पैक कराई गई खाने-पीने की वस्तुओं पर यह नियम लागू नहीं होता।
- किसी भी पैक्ड सामान को खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उस पर उत्पादक/पैक करने वाले/आयात करने वाले का नाम व पता, उस चीज का नाम, उसका वजन, उत्पादन या आयात का महीना व साल लिखा हो। ऐसा न होने पर शिकायत जरूर करें।
- पेट्रोल पंप पर पेट्रोल, डीजल या दूसरी चीजों की सही मात्रा मिले, यह तय करना भी राज्य सरकार के माप-तौल विभाग की जिम्मेदारी है। अगर आपका शक सही निकलता है तो डीलर को छह महीने की सजा हो सकती है।
- पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल की मात्रा चेक करने के लिए पांच लीटर का जार उपलब्ध होता है। इस पर माप-तौल विभाग की सील व उसकी अवधि जरूर चेक कर लें।
- यदि आपको लगे कि ऑटो या टैक्सी का मीटर तेज चल रहा है, तो आप इसकी शिकायत जरूर करें।
- केवल फेरीवालों को ही हाथ वाले तराजू का इस्तेमाल करने की छूट दी गयी है। दुकान में बैठा दुकानदार हाथ तराजू का इस्तेमाल कर रहा है, तो उपभोक्ता उसकी शिकायत बाट और माप विभाग में कर सकता है।
- पैकेट बंद वस्तुओं पर प्रिंट मूल्य पर किसी भी प्रकार का अलग से स्टिकर नहीं लगा हुआ होना चाहिए।
- यदि कोई भी दुकानदार बाट की जगह ईंट या पत्थर के बाट का इस्तेमाल करे तो आप तुरंत लिखित शिकायत बांट एवं माप विभाग में करें।
- दुकानदारों के द्धारा लकड़ी अथवा गोल डंडी से बनी तराजू का इस्तेमाल करना दंडनीय अपराध की श्रेणीं में आता है। ऐसे दुकानदारों के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत कर सकते हैं।
- यदि मिठाई या ड्राई फ्रूटस लेते समय दुकानदार पैकेट अथवा डिब्बे का वजन भी मिठाई या ड्राई फ्रूटस के साथ तौले तो उपभोक्ता को दुकानदार के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए।
- पैकेट बंद वस्तुओं पर स्पष्ट अक्षरों में वस्तु का वजन , नाम, पता, तौल व कीमत आदि स्पष्ट रूप से लिखा हुआ होना चाहिए। पैकेट पर पूरी जानकारी छपे न होने पर उपभोक्ता कंपनी की शिकायत कर सकते हैं।
- तरल पदार्थों को नापने वाला लीटर बांट एवं माप तौल विभाग के नियमों के अनुसार होना चाहिए।
- यदि आप व्यापारी हैं और आपके माप-तौल उपकरण की अवधि जनवरी में खत्म हो रही है तो आप जनवरी से मार्च के बीच कभी भी बिना पेनल्टी अपने उपकरणों का वेरिफिकेशन करा सकते हैं। विभाग ने साल को चार हिस्सों में बांटा है - जनवरी से मार्च, अप्रैल से जून, जुलाई से सितंबर और अक्टूबर से दिसंबर तक।