आप अस्पताल में जाते हैं तो देखेते हैं कि डॉक्टर से लेकर नर्स तक सभी सफेद कोट पहने हुए होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि डॉक्टर सफेद कोट ही क्यों पहनते हैं। दरअसल डॉक्टरों के सफेद रंग के कोट के पीछे विशेष कारण होते हैं, जिनसे शायद बहुत से लोग अनजान होते हैं। आइए जानते हैं।
19वीं शताब्दी के मध्य में कनाडा में डॉ. जॉर्ज आर्मस्ट्रांग ने डॉक्टर की आधुनिक सफेद कोट को दवा के काम के लिए पेश किया था। डॉ. जॉर्ज आर्मस्ट्रांग मॉन्ट्रियल जनरल अस्पताल में एक सर्जन थे और कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष थे।
- भारत में डॉक्टरों के सफेद कोट की शुरुआत बीसवीं सदी में अंग्रेजों के समय में हुई। जो देश की आजादी के बाद आज भी चला आ रहा है।
- डॉक्टर की सफेद कोट सफेद या हल्के रंग के सूती, लिनन या सूती पॉलिएस्टर मिश्रण से बना होता है।
- डॉक्टर की कोट का सफेद रंग स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है और साथ ही ये शांति, ईमानदारी और पवित्रता की निशानी भी होता है।
- सफेद रंग मरीज की आंखों को भी सुकून देता है। शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने में मददगार होता है।
- सफेद कोट में कई बड़ी जेबें भी होती है, जिसमें डॉक्टर मेडिकल से जुड़े सामान को रख सकते हैं।
- सफेद कोट को उच्च तापमान पर धोया जा सकता है। और सफाई का ध्यान रखा जा सकता है।
- चिकित्सा में साफ़ सफाई का काफी महत्व होता है और डॉक्टर के सफेद कोट भी सफाई की निशानी होती है।
- वर्तमान में सफेद कोट देश के डॉक्टरों की पहचान बन गया है और ये सिलसिला आजादी के पहले से चला आ रहा है।