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लोकायुक्त की रिपोर्ट में कई पूर्व मंत्री व नौकारशाह दोषी

लोकायुक्त की रिपोर्ट में कई पूर्व मंत्री व नौकारशाह दोषी

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट में कई पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, करीब छह आइएएस अधिकारी व अन्य अफसर दोषी पाए गए हैं। लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्रा ने शुक्रवार को राजभवन में राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात कर उन्हें लोकायुक्त प्रशासन का वार्षिक प्रतिवेदन-2018 सौंपा। हालांकि लोकायुक्त प्रशासन ने आरोपियों के नामों का खुलासा नहीं किया है ।

लोकायुक्त प्रशासन के सचिव पंकज कुमार उपाध्याय ने पत्रकारों से बातचीत में वार्षिक प्रतिवेदन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लोकायुक्त एवं उप लोकायुक्त की ओर से वर्ष 2018 में कुल 22 प्रतिवेदन एवं 6 संस्तुतियां सक्षम प्राधिकारी को भेजी गई। इसके अलावा कुल 6 विशेष प्रतिवेदन राज्यपाल को भेजे गए। इनमें पिछली सरकारों के कुछ मंत्री और नौकरशाह दोषी पाए गए हैं। सबसे अधिक मामले ग्राम विकास व ग्राम पंचायत विभाग से जुड़े हैं, जो कुल शिकायतों के करीब 25 फीसद हैं। इनमें वीडीओ, बीडीओ, एडीओ समेत अन्य अधिकारी दोषी पाये गए हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है।

सचिव पंकज कुमार उपाध्याय ने बताया कि वर्ष 2018 में लोकायुक्त प्रशासन को कुल 3915 परिवाद प्राप्त हुए, जबकि 882 परिवाद पूर्व से लंबित थे। इस तरह कुल 4797 परिवादों पर कार्रवाई की गई। वर्ष 2018 में प्रारंभिक जांच के आधार पर 3169 परिवाद निस्तारित किये गए। इनमें 395 ऐसे परिवाद हैं, जिनका निस्तारण विवेचना के बाद किया गया। लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्रा व उप लोकायुक्त शंभू सिंह यादव ने 22 प्रतिवेदन व छह संस्तुतियां सक्षम प्राधिकारी को भेजी हैं। इनमें कई पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। जो छह संस्तुतियां की गई हैं, उनमें अधिकारियों पर लगाये गए आरोपों के साक्ष्य प्रारंभिक जांच में ही मिल गए थे। इसके साथ ही छह विशेष प्रतिवेदन राज्यपाल को सौंपे गए हैं। लोकायुक्त प्रशासन ने पद के दुरुपयोग, पद के कर्तव्यों का निर्वाहन न करने व सेवानिवृत्ति के भुगतान संबंधी मामलों में प्रभावी कार्रवाई करते हुए 650.65 लाख रुपये का भुगतान कराया। इनमें 90 फीसद मामले सेवानिवृत्ति से संबंधित हैं। अधिकारियों ने बताया कि सबसे अधिक भुगतान चीनी मिल के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कराये गए। 

उन्होंने बताया कि लोकायुक्त संगठन के अधिकार, कार्यप्रणाली और परिवाद दायर करने के संबंध में आम जनता को जागरूक करने के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिविर आयोजित किए गए। इसके अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे 540 छात्र-छात्राओं को ग्रीष्मकालीन-शीतकालीन अवकाशों में व्यवहारिक प्रशिक्षण कराया गया।

 

 

 

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार