चंडीगढ़ (हरियाणा) । देशभर में भ्रष्टाचार को खत्म करने का हथियार बने आधार को ही भ्रष्टाचारियों ने सोनीपत में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में घोटाले का जरिया बना लिया। और अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के साढ़े तीन करोड़ रुपये पर हाथ साफ कर दिया । यह कारनामा अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के कर्मचारियों ने छात्र-छात्राओं के आधार नंबर बदलकर अंजाम दिया। हालांकि घोटाले की प्राथमिक जांच के बाद विभाग के महानिदेशक संजीव वर्मा ने पांच कर्मचारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिया है और दो अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है।
आपको बता दें कि सोनीपत जिला कार्यालय की ओर से 352 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति देने के लिए 236 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृति हुए थे । इस राशि की स्वीकृति के बाद ईपीएस बैंक ने महानिदेशक कार्यालय को सूचित किया कि स्वीकृत राशि को खातों में ट्रांसफर करने के लिए अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के कर्माचारियों ने दूसरे आधार नंबर जोड़ते हुए गड़बड़ी की है। इसकी सूचना मिलने पर विभाग के महानिदेशक संजीव वर्मा ने राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी से मंजूरी लेने के बाद चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। इस कमेटी में शामिल अमिता गोयल, सतनाम खांबरा, मोहित दत्ता और रीतू गुप्ता ने रिपोर्ट दी कि 352 मामलों में सिर्फ सात केस सही हैं, जबकि दो के नाम बदले हुए हैं, लेकिन उनके आधार नंबर ठीक हैं। बाकी सभी मामले में गड़बड़ी हुई है। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर ही पांच कर्मचारियों अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के डाटा एंट्री आपरेटर मुख्यालय कुलजीत सिंह, हेड आफिस के लिपिक संजीव कुमार, सहायक रामधारी, सहायक बिलेंद्र सिंह और अकाउंटेंट कम क्लर्क सुरेंद्र कुमार को निलंबित करने के आदेश जारी किए गए हैं। जबकि उप निदेशक कम डीडीओ अनिल कुमार और उप निदेशक (ट्रेनिंग) आरएस सांगवान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की गयी है।
अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के महानिदेशक को आशंका है कि आधार नंबर बदलकर छात्रवृत्ति में घोटाले का खेल लंबे समय से खेला जा रहा है। इसमें कई बड़े खिलाड़ी शामिल होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में हरियाणा के प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) से पिछले तीन साल में जारी हुई राशि का स्पेशल आडिट कराने का सुझाव दिया है। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में घोटाले के तार कई सफेदपोशों से जुड़े होने की आशंका के चलते स्टेट विजिलेंस ब्यूरो से भी जांच कराने की सिफारिश की गई है।