लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। चुनाव आयोग की अनुमति मिलने के बाद बाराबंकी पुलिस अधीक्षक डॉ. सतीश कुमार को 65 लाख रुपए की वसूली कांड मामले में निलंबित कर दिया गया है। उन्हें डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। और वसूली कांड में डॉ. सतीश की संलिप्तता की विस्तृत जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। नए पुलिस अधीक्षक की तैनाती के लिए तीन नए नामों का पैनल चुनाव आयोग को भेजा गया है।
आपको बता दें कि बाराबंकी के हैदरगढ़ कोतवाली क्षेत्र निवासी सांवले शर्मा ने विश्वास ट्रेडिंग कंपनी के पदाधिकारी कोलकता निवासी कंपनी संचालक प्रेसनजी सरदार, शंकर गायन व धीरज श्रीवास्तव के खिलाफ 10 जनवरी 2019 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सांवले का आरोप था कि कंपनी ने शेयर बाजार में पैसा लगावाकर मोटे मुनाफे का लालच देकर लोगों से ठगी की। वहीं पदाधिकारी शंकर गायन का आरोप है कि उन्हें व उनके साथियों को फर्जी मामले में साक्ष्यों के बगैर 11 जनवरी को जेल भेज दिया गया था। इतना ही नहीं लखनऊ स्थित उनका ऑफिस भी सील कर दिया गया था। जमानत पर छूटने के बाद उन्होंने डीजीपी को पूरे मामले की जानकारी दी और साइबर क्राइम सेल के दारोगा अनूप कुमार यादव पर विश्वास ट्रेडिंग कंपनी को सीज करने की धमकी देकर पदाधिकारियों से 65 लाख रुपये वसूलने का आरोप लगाया।
इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने गोपनीय जांच एसटीएफ को सौंपी। एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने पहले सीओ और फिर अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से जांच कराई तो आरोपों को पहली नजर में सही पाया गया। एसटीएफ ने अपनी रिपोर्ट डीजीपी ओम प्रकाश सिंह को सौंपी और डीजीपी ने 1 अप्रैल को इसे शासन को भेज दिया। शासन ने जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया तो पाया कि पूरे प्रकरण में पुलिस अधीक्षक बाराबंकी डॉ. सतीश कुमार की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता, जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है। इस मामले में पुलिस अधीक्षक को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है। जबकि डीजीपी ओपी सिंह के निर्देश पर प्रकरण की गोपनीय जांच में पुष्टि के बाद आरोपित दारोगा को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। और वहीं आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली टीम में शामिल पुलिसकर्मियों अमरेश कुमार, अनूप यादव, रितेश कुमार पांडेय और अंकित की भूमिका की जांच की जा रही है।