जयपुर (राजस्थान)। देश में पहली बार अशोक गहलोत सरकार 'सामाजिक जवाबदेही' कानून लाने जा रही है। इस कानून के तहत लापरवाह अफसरों पर शिकंजा कसने की तैयारी है। इसके लिए राजस्थान सरकार ने 'सामाजिक जवाबदेही विधेयक' तैयार कर लिया है। इसके बारे में आम जनता से 15 दिन के भीतर विधेयक पर आपत्ति एवं सुझाव मांगे गए हैं।
अशोक गहलोत सरकार का दावा है कि राजस्थान यह कानून बनाने वाले देश का पहला प्रदेश होगा। इस कानून के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह का यह अधिकार है कि उन्हें एक निश्चित समयसीमा के भीतर निर्धारित मात्रा और गुणवत्ता में चिह्नित सेवाएं मुहैया कराई जाएं और उनकी शिकायतों का निवारण किया जाए। इसमें सुनवाई अथवा काम कम होने पर जुर्माने का प्रवधान किया गया है। सभी प्रकार की शिकायत एक जगह पर दर्ज करने की भी सुविधा होगी। इसमें स्वतंत्र जांच का कानूनी प्रावधान किया गया है । जिला एवं संभाग स्तर पर जन सुनवाई हो सकेगी । शिकायत का 30 दिन के अंदर निस्तारण करने का भर प्रावधान किया गया है । इस कानून में यह तय किया जाएगा कि किसी व्यक्ति की फाइल को क्यों रोका गया , किसी की पेंशन को क्यों बंद किया गया और किस अधिकारी ने फाइल को बंद किया। सरकारी अधिकारी निस्तारित सेवाओं का पूरा ब्योरा और जॉब चार्ट भी जारी करेगा, जिसमें इस बात का उल्लेख होगा कि किस अधिकारी को कौनसी जिम्मेदारी दी गई और उस जिम्मेदारी का निर्वहन वो कितनी तत्परता और कुशलता से कर पाया। सुनवाई के अधिकार के तहत बूथ स्तर पर सार्वजनिक सुनवाई होगी, जिसमें शिकायतकर्ता अपनी बात रख सकेंगें। ड्राफ्ट की प्रति विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है ।
अधिकार एक्सप्रेस ब्यूरो