बहराइच (उत्तर प्रदेश)। मरीजों के साथ सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों की क्रूर अमानीवता थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला बहराइच के सीएचसी विशेश्वरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को स्टाफ नर्स ने रिश्वत न देने पर स्वास्थ्य केंद्र से भगा दिया। महिला जैसे ही स्वास्थ्य केंद्र से बाहर निकली वैसे ही महिला का सड़क पर प्रसव हो गया, जिससे नवजात की मौके पर ही मौत हो गयी। इस घटना से नाराज परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन शुरु कर दिया। हालांकि मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारों द्वारा कार्रवाई का भरोसा देने पर परिजन शांत हुए।
गोंडा जिले के धानेपुर पहड़वा निवासी शेर मोहम्मद की पत्नी मेहनाज को रविवार देर रात को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी। जिसके बाद शेर मोहम्मद ने तड़प रही पत्नी को वाहन का इंतजाम कर बहराइच के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विशेश्वरगंज पहुंचाया। जब शेर मोहम्मद स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा तो वहां पर कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ नर्स ने मेहनाज को देखने के बाद कहा कि प्रसव ऑपरेशन से होगा। इसके लिए नर्स ने पांच हजार रुपए की मांग की । जब शेर मोहम्मद ने कहा कि उसके पास इतने रुपए नहीं है तो नाराज नर्स ने उसकी उसकी पत्नी को स्वास्थ्य केंद्र से भगा दिया। जब उसने नर्स की इस मनमानी का विरोध किया तो उसने उसे अपशब्द कहे। परेशान शेर मोहम्मद पत्नी को कंधे पर लादकर अस्पताल गेट के सामने सड़क पर पहुंचा ही था, तभी प्रसव हो गया। यह देखकर शेर मोहम्मद जोर-जोर से चीखने लगा। उसकी आवाज सुनकर मौके पर मौजूद महिलाओं ने उसकी पत्नी को संभाला, लेकिन सड़क पर गिरने की वजह से नवजात की तड़प-तड़पकर मौत हो गयी। हैरानी की बात यह थी कि प्रसूत रात भर स्वास्थ्य केंद्र के सामने सड़क पर पड़ी रही, लेकिन स्वस्थ्य केंद्र के कर्मचारियों और डॉक्टरों ने उसकी कोई सुध नहीं ली।
इस घटना से नाराज परिवार को लोगों ने सुबह दस बजे विशेश्वरगंज इकौना मार्ग पर जाम लगा दिया और जमकर नारेबाजी की । हालांकि घटना की सूचना मिलने के बाद दोपहर में एसडीएम पयागपुर सन्तोष उपाध्याय मौके पर पहुंचे और कार्रवाई का आश्वासन देकर सभी को शांत कराया। मामले की जांच के आदेश दिये गए हैं। वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एके पांडेय ने पूरे मामले की जांच डिप्टी सीएमओ को सौंपी है। सीएमओ ने कहा कि मामला काफी गंभीर है, दोषी को कतई बक्शा नहीं जाएगा। अब देखना होगा कि दोषी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई होती है या फिर हमेशा की तरह मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।