इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) । बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने संशोधित आदेश में उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को गैर जमानती गिरफ्तारी से राहत देते हुए अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में साढ़े बारह हजार टीचर्स की भर्ती के मामले में अदालत द्वारा बार - बार जवाब मांगे जाने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नही देने पर ऐसा सख्त कदम उठाया। दरअसल अदालत के कई बार आदेश के बावजूद इस मामले में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। जिसके बाद अदालत ने योगीराज में सरकारी अफसरों के रवैये पर तल्ख़ टिप्पणी भी की। वहीं एक अन्य मामले में अंशकालिक खेल अनुदेशक पद पर भर्ती को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बेसिक शिक्षामंत्री की वादाखिलाफी के खिलाफ बीपीएड अभ्यर्थी तीसरी बार इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण में गए हैं। बीपीएड अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश की अवमानना की तारीख और 12 अप्रैल के आदेश को सरकार के न मानने पर दोबारा हाईकोर्ट की डबल बेंच में अवमानना का केस दायर किया है। जिसकी सुनवाई आगामी 06 अगस्त को होगी।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक 12460 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला था। लेकिन चुनाव के दौरान प्रक्रिया रुक गयी। वहीं योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही शिक्षा विभाग की दूसरी भर्तियों की तरह इस मामले में भी मौखिक आदेश से भर्तियों पर रोक लगा दी। जब लम्बे समय तक रोक जारी रही तो कई अभ्यर्थियों ने भर्ती शुरु करने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस साल अप्रैल महीने में भर्तियों पर लगी रोक हटाते हुए योगी सरकार को प्रक्रिया दो महीने में पूरी किए जाने का आदेश दिया।
वहीं इस बीच मई महीने में अवनीश कुमार नाम के व्यक्ति ने उत्तर प्रदेश प्राइमरी टीचर्स सर्विस रूल्स 1981 के आधार पर हाईकोर्ट में भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देते हुए इस पर रोक लगाए जाने की मांग की। उत्तर प्रदेश प्राइमरी टीचर्स सर्विस रूल्स के मुताबिक़ बीटीसी प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को अपने जिलों की भर्ती में वरीयता मिलती है, जबकि जारी हुए विज्ञापन में किसी भी जिले के अभ्यर्थी को सभी जिलों में आवेदन करने की छूट दी गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगते हुए अगले आदेश तक के लिए भर्तियों पर रोक लगा दी थी।
जब इस मामले में अदालत के कई बार जवाब मांगने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रतिक्रिया नहीं दी तो अदालत ने 18 जुलाई को हुई सुनवाई में गहरी नाराज़गी जताई और उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को 30 जुलाई को व्यक्तिगत तौर कोर्ट में पेश होकर सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल करने को कहा था। प्रमुख सचिव को भर्तियों में नियम तोड़ने के मामले में जवाब दाखिल करना था। साथ ही पिछली सुनवाइयों में सरकार का जवाब दाखिल न होने पर भी हलफनामा पेश करना है। मामले की सुनवाई मंगलवार को जस्टिस एसपी केसरवानी की बेंच में हुई तो न तो प्रमुख सचिव स्वयं अदालत में हाजिर हुए और न ही सरकार की तरफ से किसी ने कोई जवाब दाखिल किया। अदालत ने इस पर गहरी नाराज़गी जताई और बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को एक अगस्त को अदालत में पेश होने का आदेश दिया। अदालत ने इस मामले में योगी सरकार को फटकार लगाई और अफसरों की लापरवाही पर सवाल भी उठाए। अब देखना है कि योगी सरकार अदालत के सामने क्या जवाब दाखिल करती है।