लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के गृह सचिव और डीजीपी के साथ बैठक में एसएसपी राजेश साहनी की मौत की जांच सीबीआई से कराने का फैसला लिया है। वहीँ एटीएस की आगरा यूनिट में तैनात इंस्पेक्टर यतीन्द्र शर्मा ने एएसपी राजेश साहनी की मौत से दुखी होकर बुधवार को अपना इस्तीफा डीजीपी को भेज दिया है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि "राजेश साहनी की आत्महत्या से बेहद दुखी होकर पुलिस व्यवस्था से परेशान होकर मैंने त्यागपत्र दिया है।" उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि एटीएस में ईमानदार और काम करने वाले लोग घुटन महसूस कर रहे हैं। यतीन्द्र गुरूवार शाम को डीजीपी से भी मुलाकात करेंगे।
आपके बता दें कि एटीएस के एडिशनल एसपी राजेश साहनी का बुधवार को अंतिम संस्कार किया गया था। राजेश साहनी को यूपी पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। राजेश साहनी की अर्थी को उनकी इकलौती बेटी श्रेया ने मुखाग्नि दी। वहीं, डीजीपी ओपी सिंह भी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे। उन्होंने राजेश साहनी की अर्थी को कंधा भी दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ये पूरी यूपी पुलिस के लिए एक दुख की घड़ी है कि प्रदेश का एक बहादुर और ईमानदार अधिकारी अब हमारे बीच नहीं रहा। हालांकि शाम होते होते डीजीपी ने मामले की जांच एडीजी जोन राजीव कृष्णा को सौंपी है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि साहनी करीब 11 बजकर 30 मिनट पर दफ्तर आए थे। उन्होंने ड्राइवर से पिस्तौल मंगाई और गोली में मार ली। उन्होंने जान देने का फैसला क्यों लिया, इसे लेकर अभी कोई सुराग नहीं मिला है। एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि एक होनहार और जांबाज़ पुलिस अफसर ने आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या के कारणों की लखनऊ पुलिस गहनता से जांच कर रही है। शुरुआती जानकारी में बस यह पता चला है कि उन्होंने ड्राइवर से पिस्टल मंगाई और कार्यालय में ही खुद को गोली मार ली।
बताया जा रहा है कि राजेश साहनी 1992 में पीपीएस सेवा में आए थे। 2013 में वह अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर प्रमोट हुए थे। एटीएस में रहते हुए राजेश साहनी ने कई ऑपरेशन को सफलता से अंजाम दिया। इस दौरान उन्होंने कई आतंकियों को गिरफ्तार करने में सफल भूमिका निभाई। राजेश साहनी एटीएस के तेज तर्रार अफसरों में से एक माने जाते थे। अभी पिछले हफ्ते ही एटीएस की टीम को राजेश साहनी के नेतृत्व में बड़ी सफलता उत्तराखंड में हाथ लगी थी। एटीएस टीम ने यहां मिलिट्री इंटेलिजेंस और उत्तराखंड पुलिस के साथ मिलकर संदिग्ध आईएसआई एजेंट रमेश सिंह को गिरफ्तार किया था। इसके बाद राजेश साहनी ने रमेश सिंह को कोर्ट में पेश किया था और उसे ट्रांजिट रिमांड पर यूपी लाए थे।