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#sanskrit_bhasha क्या संस्कृत की शिक्षा धार्मिक शिक्षा होती है?

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#sanskrit_bhasha क्या संस्कृत की शिक्षा धार्मिक शिक्षा होती है?

संस्कृत भाषा को विश्व की अन्य भाषाओं की जननी माना जाता है। संस्कृत भारतीय संस्कृति और सभ्यता की संवाहक भाषा भी मानी जाती है। विश्व भर में केवल संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है जो पूरी तरह सटीक है। इसका कारण इसकी सर्वाधिक शुद्धता है। इसीलिये कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए संस्कृत को ही सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है। लेकिन चिंता की बात यह है कि आजकल यह भाषा नई पीढ़ी के बीच अपनी लोकप्रियता खोती जा रही है। विश्व के कई देश जहां संस्कृत की ओर लौट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत में यही भाषा उपेक्षा का शिकार हो रही है। आखिर इसके क्या कारण हैं? आज हम इसी विषय पर संस्कृत भाषा के विद्वान और प्रयागराज जनपद के श्रंगवेरपुर में स्थित गौरीशंकर स्मारक संस्कृत महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक रहे त्रिपुरारी नाथ शुक्ल से चर्चा करेंगे...चलिये शुरु करते हैं। हमारी वेबसाइट है: http://adhikarexpress.com/

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार