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#sharirikshikshashikshak​ शारीरिक शिक्षा शिक्षक कौन होता है? उसके दायित्व क्या होते हैं?

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#sharirikshikshashikshak​ शारीरिक शिक्षा शिक्षक कौन होता है? उसके दायित्व क्या होते हैं?

हमारे जीवन को सफल बनाने में शारीरिक शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रत्येक व्यक्ति अनौपचारिक रुप से समाज में रहकर शारीरिक शिक्षा ग्रहण करता है, लेकिन विद्यालय की औपाचारिक शारीरिक शिक्षा ही शारीरिक शिक्षा कहलाती है। यह शिक्षा छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिये बहुत उपयोगी होती है। शारीरिक शिक्षा के द्वारा छात्रों के शारीरिक अंगों का सर्वांगीण विकास किया जाता है। वास्तव में यह शिक्षा छात्रों यानी विद्यार्थियों के लिये एक ऐसा कार्यक्रम है, जो इनको शारीरिक स्वास्थ्य से संबधित ज्ञान प्रदान कर, उन्हें नियमित स्वास्थ्य के लिये सजग और क्रियाशील बनाती है और देश को स्वस्थ नागरिक प्रदान करती है। परिणामस्वरुप शारीरिक शिक्षा का ज्ञान छात्रों को एक स्वस्थ नागरिकता का निर्माण करने में सराहनीय भूमिका निभाता है। चलिये आपको विस्तार से शारीरिक शिक्षा शिक्षक के विषय में विस्तार से बताते हैं...। हमारी वेबसाइट है: http://adhikarexpress.com/

नागरिक का मौलिक कर्तव्य

(क) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र्गान का आदर करें। 

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखें व उनका पालन करें।

(ग) भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। 

(घ) देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट् की सेवा करें। 

(ङ) भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।

(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। 

(छ) प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें । 

(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें। 

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।

(ट) यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो 6 वर्ष से 14 वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

बंदी (कैदी) का अधिकार